
जोधपुर। राज्य उपभोक्ता आयोग जोधपुर बैच ने उपभोक्ता से सिनेमा हॉल में पानी की बोतल की कीमत अधिक वसूलने पर एक लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। आयोग ने बीस हजार रुपये मानसिक क्षति व परिवाद व्यय के रूप में पांच हजार तथा अनुचित व्यापारिक व्यवहार के लिए एक लाख रुपये हर्जाने के रूप में उपभोक्ता कल्याण कोष में देने के आदेश पारित किए हैं। जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय के विरुद्ध दोनों पक्षों द्वारा राज्य उपभोक्ता आयोग के समक्ष अपील प्रस्तुत की गई थी। अपील के संक्षिप्त तथ्य में अपीलार्थी जितेंद्र बोहरा, पीवीआर आइनॉक्स, कोका-कोला दोनों पक्षों ने जिला आयोग के निर्णय के लिए प्रस्तुत की थी। राज्य उपभोक्ता आयोग ने दोनों पक्षों की अपील का संयुक्त रूप से निस्तारण करते हुए अपना निर्णय दिया। आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र कच्छवाहा, सदस्य लियाकत अली के समक्ष अपीलार्थी जितेंद्र बोहरा ने बताया कि फरवरी 2017 में वह पीवीआर आइनॉक्स सिनेमा हॉल में फिल्म देखने गया, जहां काउंटर से किनले कंपनी की पानी की दो बोतल खरीदी, जिसकी कीमत पचास रुपये प्रति बोतल के अनुसार सौ रुपये वसूल वसूल किए, जबकि यही पानी की बोतल बाजार में बीस रुपये में उपलब्ध है। इस प्रकार एक ही उत्पाद की एक ही शहर में अलग-अलग कीमत नहीं हो सकती। इस तरह से बोतल विक्रय किया जाना व्यावसायिक दुराचरण की परिभाषा में आता है। सिनेमा हॉल की ओर से जवाब में बताया गया कि इस प्रकार की पानी की बोतल पर विशिष्ट घोषणा सेल थ्रू सिलेक्ट चैनल अंकित होता है उसी के अनुसार उपभोक्ता को कंपनी से उत्पादन की बोतल खरीदते समय बाजार से अधिक राशि चुकानी पड़ती है। कानूनन एक ही उत्पाद पर अधिकतम विक्रय मूल्य अलग-अलग होने पर किसी भी प्रकार की रोक नहीं है। सिनेमा हॉल में दर्शकों के लिए शुद्ध व साफ पानी नि:शुल्क उपलब्ध रहता है। ग्राहकों को पैक पानी की बोतल खरीदने के लिए कभी अग्रसर नहीं किया जाता है। वहीं कोको कोला इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने अपने जवाब में बताया कि वह ना तो निर्माता है और ना ही विक्रेता मूल्य निर्धारण करने से उसका कोई संबंध है बल्कि पैक करने वाले लाइसेंसधारी द्वारा ही उक्त कार्य किया जाता है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के निर्णय का तर्क देते हुए बताया सिर्फ विक्रय नहीं किया जाकर सेवा भी दी जा रही है। इसलिए डबल रेट ली जा सकती है। उन्होंने अपने समर्थन में न्यायिक दृष्टांत भी प्रस्तुत किया।
उपभोक्ताओं की रक्षा के लिए बना है संरक्षण अधिनियम
आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र कच्छवाहा व सदस्य लियाकत अली ने पारित निर्णय में कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उपभोक्ताओं की रक्षा के लिए बना है। विपक्षीगणों द्वारा प्रतिरक्षा इस आशय की ली है कि केंद्र सरकार द्वारा जनवरी 18 से कानून में जो संशोधन किया गया है इससे पूर्व किसी भी उत्पाद पर एमआरपी पर कोई प्रतिबंध नहीं था। आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि परिवादी ने सिनेमा हॉल में कोई सेवाएं प्राप्त नहीं की, बल्कि स्वयं पानी की बोतल काउंटर पर जाकर खरीदी है। राज्य आयोग ने जिला आयोग के निर्णय में संशोधन करते हुए कहा कि जिला आयोग ने बढ़ी हुई विक्रय राशि के तथ्य को सही मानते हुए केवल विपक्षी सिनेमा हॉल को ही जिम्मेदार माना है जो विधि की भूल है। आयोग ने अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपीलों का निस्तारण करते हुए सिनेमा हॉल कोका कोला कंपनी को संयुक्त रूप से जिम्मेदार मानते हुए अनुचित व्यापारी व्यवहार के बीस हजार और पांच हजार रुपए परिवाद व्यय के रूप में तथा राशि अधिक वसूलने पर एक लाख रुपये उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करवाने का आदेश पारित किया। अपीलार्थी जितेंद्र बोहरा को अपील व्यय के रूप में दस हजार रुपये और देने का भी निर्णय दिया।
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