राजस्थान के सीकर जिले में परिवहन विभाग की कार्रवाई के दौरान निजी बस संचालकों की गंभीर लापरवाही सामने आई है। जांच में खुलासा हुआ कि कई बसें बिना इमरजेंसी गेट के सड़कों पर दौड़ रही थीं, जबकि कुछ बसों में यात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए अवैध रूप से अतिरिक्त सीटें लगा दी गई थीं। विभाग ने सख्त कदम उठाते हुए तीन बसों को तुरंत सीज कर दिया है, जबकि कई अन्य बसों के चालान काटे गए हैं।
परिवहन विभाग की यह कार्रवाई जैसलमेर बस अग्निकांड के बाद की गई है, जिसमें सुरक्षा मानकों की अनदेखी से कई लोगों की जान गई थी। उसी के बाद पूरे प्रदेश में बसों की फायर सेफ्टी और फिटनेस जांच तेज कर दी गई है। सीकर में हुई जांच के दौरान टीम ने दर्जनों बसों का निरीक्षण किया, जिनमें से कई बसों में गंभीर खामियाँ पाई गईं।
अधिकारियों के अनुसार, कुछ बसों में इमरजेंसी गेट पूरी तरह से बंद कर दिए गए थे, ताकि यात्रियों की अतिरिक्त सीटें लगाई जा सकें और मुनाफा बढ़ाया जा सके। वहीं, कुछ बसों में फायर एक्सटिंग्विशर, सेफ्टी हैमर और इमरजेंसी लाइट तक नहीं थे। विभाग ने इसे यात्रियों की सुरक्षा के साथ सीधी लापरवाही बताया है।
सीकर के परिवहन अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान तीन बसों को तत्काल प्रभाव से सीज किया गया है, जबकि आठ बसों को फिटनेस और परमिट नवीनीकरण के लिए नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने कहा, “किसी भी बस को बिना सुरक्षा उपकरणों और मानक फिटनेस सर्टिफिकेट के सड़कों पर चलने नहीं दिया जाएगा। यात्रियों की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
स्थानीय प्रशासन ने बस मालिकों को चेतावनी दी है कि यदि आगे भी किसी बस में इस तरह की खामियाँ पाई गईं, तो बस का परमिट रद्द कर दिया जाएगा और मालिक के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।
इस कार्रवाई से सीकर जिले के निजी बस ऑपरेटरों में हड़कंप मच गया है। कई संचालक अब अपनी बसों की सुरक्षा जांच और मरम्मत करवाने में जुट गए हैं। वहीं, यात्रियों ने परिवहन विभाग की इस सख्ती का स्वागत किया है।
यात्रियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में निजी बसों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी बढ़ती जा रही थी। न तो इमरजेंसी गेट खुलते हैं, न फायर सेफ्टी के उपकरण ठीक से काम करते हैं। हाल के हादसों ने यह साबित कर दिया है कि अब समय आ गया है जब सरकार को इस क्षेत्र में ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनानी चाहिए।
परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान केवल सीकर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे शेखावाटी क्षेत्र — सीकर, झुंझुनूं और चूरू जिलों में इसी तरह की सघन जांच की जाएगी।
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