राजस्थान बीजेपी में एक बार फिर नेतृत्व और संगठनात्मक बदलाव को लेकर अंदरूनी हलचल तेज हो गई है। आगामी तिरंगा यात्रा को लेकर मंगलवार को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित बैठक में यात्रा की रणनीति पर कम, जबकि कुर्सी की राजनीति पर अधिक चर्चा देखने को मिली। इससे पार्टी के भीतर चल रही खींचतान एक बार फिर सतह पर आ गई है।
सूत्रों के अनुसार, बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी तिरंगा यात्रा की तैयारियों और इसके सफल आयोजन की रणनीति तय करना था। लेकिन जैसे-जैसे बैठक आगे बढ़ी, नेताओं के बीच प्रदेश नेतृत्व, संगठन में बदलाव, और जिम्मेदारियों के पुनः बंटवारे को लेकर चर्चाएं तेज होती गईं। कई वरिष्ठ नेताओं ने यह मुद्दा उठाया कि पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए अब कुछ चेहरे बदलने की ज़रूरत है।
हालांकि बैठक में मौजूद कुछ नेताओं ने तिरंगा यात्रा के कार्यक्रमों और जनता से जुड़ने की रणनीति पर बात करने की कोशिश की, लेकिन चर्चा का केंद्र कुर्सी, पद और नेतृत्व की राजनीति ही बना रहा। इससे यह संकेत साफ है कि पार्टी में अंदरूनी समीकरण फिर से गहराने लगे हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव के बाद अब बीजेपी की नजरें आगामी 2028 के विधानसभा चुनाव और राज्य में संगठनात्मक पुनर्गठन पर हैं। ऐसे में कई नेता प्रदेश नेतृत्व में बदलाव की मांग कर रहे हैं और खुद को भविष्य की रणनीति में अहम भूमिका में देखना चाहते हैं।
सूत्र बताते हैं कि बैठक में कुछ नेताओं ने यह भी संकेत दिए कि प्रदेश अध्यक्ष या संगठन महामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर जल्द ही बदलाव हो सकता है, जिससे पार्टी की जमीनी पकड़ और मजबूत की जा सके। इसको लेकर कुछ वरिष्ठ नेता असहज भी नजर आए।
पार्टी की तरफ से हालांकि अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन बैठक के बाद जिस तरह के माहौल की खबरें सामने आई हैं, उससे यह साफ है कि पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। तिरंगा यात्रा जैसे राष्ट्रवादी आयोजन के बीच नेतृत्व की उठापटक का मुद्दा पार्टी की एकता को प्रभावित कर सकता है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “तिरंगा यात्रा जैसे आयोजन में पूरा फोकस जनता से जुड़ने पर होना चाहिए, न कि आंतरिक पदों को लेकर खींचतान पर। पार्टी को वर्तमान चुनौतियों का सामना एकजुट होकर करना होगा।”
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