अरब क्षेत्र के मीडिया संस्थानों ने उन रिपोर्टों को प्रमुखता से दिखाया है जिनमें अमेरिका और इसराइल के बीच फ़लस्तीनी इलाक़ों में इसराइल के क़दमों को 'तनावपूर्ण' बताया गया है.
कुछ मीडिया संस्थानों ने अमेरिका के 'सख़्त लहजे' और 'ग़ुस्से' को रिपोर्ट किया है, जो इसराइली संसद (क्नेसेट) की ओर से क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक पर संप्रभुता लागू करने वाले बिल को शुरुआती मंज़ूरी दिए जाने के बाद सामने आया.
वामपंथी झुकाव रखने वाले इसराइली अख़बार हारेत्ज़ के मुताबिक़, यह बिल अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की यात्रा के दौरान विपक्षी सांसद अविगडोर लिबरमैन और अवि माओज़ ने पेश किया था.
अधिकांश अरब मीडिया संस्थानों ने वेंस की आलोचना को दी, जिन्होंने इस क़दम को 'बेहद मूर्खतापूर्ण राजनीतिक स्टंट' बताया और चेतावनी दी कि विलय की कोशिश राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ग़ज़ा संघर्ष समाप्त करने की योजना को ख़तरे में डाल सकती है.
वेंस ने कहा, "मुझे व्यक्तिगत रूप से यह अपमानजनक लगा. वेस्ट बैंक पर इसराइल का क़ब्ज़ा नहीं होने जा रहा है."
इसराइल को चेतावनीखाड़ी क्षेत्र के प्रमुख अरब टीवी चैनलों ने अपनी सुबह की ख़बरों में वेस्ट बैंक के विलय की कोशिश को लेकर अमेरिकी विरोध को प्रमुखता से दिखाया.
अबू धाबी स्थित स्काई न्यूज़ अरेबिया ने सुबह के अपने बुलेटिन में ट्रंप की 'कड़ी आपत्ति' को लीड बनाया और कहा कि 'इसराइल ऐसा कोई क़दम नहीं उठाएगा.'
स्काई न्यूज़ अरेबिया ने ट्रंप के हवाले से कहा, "वेस्ट बैंक की चिंता मत करो. इसराइल वेस्ट बैंक के साथ कुछ नहीं करने वाला है."
चैनल ने बताया कि ट्रंप पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि अगर इसराइल ने विलय की योजना पर आगे बढ़ने की कोशिश की तो वह अमेरिकी समर्थन खो सकता है. चैनल की ओर से कहा गया कि ट्रंप अरब देशों से किए गए अपने वादों के प्रति प्रतिबद्ध हैं और विलय को 'रेड लाइन' मानते हैं.
अपने 23 अक्तूबर के कार्यक्रम अल तासिआ (रात 09:00 बजे) में ने कहा कि ट्रंप की यह चेतावनी 'एक राजनीतिक तमाचा' है और यह नेतन्याहू के लिए 'नई परीक्षा' है.
क़तर के अल जज़ीरा टीवी चैनल ने सुबह के अपने बुलेटिन में एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से कहा कि व्हाइट हाउस को चिंता है कि इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के व्यवहार के कारण 'ग़ज़ा शांति समझौता टूट सकता है.'
अधिकारी ने संकेत दिया कि अगर नेतन्याहू ने ट्रंप की योजना को बिगाड़ा तो 'उन्हें सज़ा दी जाएगी.'
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Getty Images नेतन्याहू के ख़िलाफ़ 'ग़ुस्सा' कई क्षेत्रीय और घरेलू मीडिया आउटलेट्स ने अमेरिका में इसराइली प्रधानमंत्री के प्रति 'बढ़ते ग़ुस्से' को रेखांकित किया है.
संयुक्त अरब अमीरात की वेबसाइट ईरम न्यूज़ ने व्हाइट हाउस के एक सूत्र के हवाले से लिखा कि 'ट्रंप इससे पहले कभी नेतन्याहू से इतने नाराज़ नहीं हुए थे.'
रिपोर्ट में कहा गया कि दोनों नेताओं के बीच 'एक दूरी' है. ट्रंप जहां मध्य पूर्व के देशों के साथ शांति समझौते करके इसराइल की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं, वहीं नेतन्याहू का मानना है कि इसराइल की सुरक्षा 'तनाव बढ़ाने और युद्ध छेड़ने' से होती है.
सऊदी अख़बार अशरक अल-अवसत ने अपनी मुख्य हेडलाइन में लिखा: 'वेस्ट बैंक के विलय के ख़िलाफ़ अमेरिकी सख़्त रुख़ ने इसराइल को झटका दिया.'
इसराइल 'काबू से बाहर'रूस के आरटी अरेबिक चैनल ने भी अमेरिका और इसराइल के बीच 'बढ़ते तनाव' को प्रमुखता से दिखाया और कहा कि अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक़ 'इसराइल काबू से बाहर हो गया है.'
चैनल ने पॉलिटिको की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिका में हालिया इसराइली क़दमों को लेकर 'झुंझलाहट बढ़ रही' है. इसके पीछे की वजह ग़ज़ा में इसराइली सेना की 'काउंटर-अटैक कार्रवाई' और क्नेसेट में वेस्ट बैंक विलय के पक्ष में वोट शामिल हैं, जिन्हें ट्रंप ने 'इसराइल-हमास के बीच नाज़ुक समझौते के लिए नुक़सानदेह' बताया है.
23 अक्तूबर की एक अन्य रिपोर्टमें आरटी अरेबिक ने टाइम मैगज़ीन को दिए ट्रंप के बयान को शामिल किया, जिसमें उन्होंने नेतन्याहू से कहा: "बीबी, आप पूरी दुनिया से नहीं लड़ सकते. आप कुछ लड़ाइयां जीत सकते हो, लेकिन दुनिया आपके ख़िलाफ़ है और इसराइल दुनिया की तुलना में बहुत छोटा देश है."
इसी तरह अल-क़ुद्स अल-अरबी अख़बार ने भी टाइम के इंटरव्यू को प्रमुखता से प्रकाशित किया और लिखा कि इस बातचीत से साफ़ झलकता है कि 'अमेरिका अब अपने सबसे बड़े सहयोगी, इसराइल पर नियंत्रण रखना चाहता है ताकि वह अरब देशों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत कर सके.'
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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