भारत में क्रिकेट को लेकर गहरी दिलचस्पी देखी जाती है, लेकिन यह खेल भी राजनीति से पूरी तरह अछूता नहीं रहा है. यूं कहें कि अगर आप क्रिकेट में दिलचस्पी नहीं भी रखते, तो एशिया कप में भारत-पाकिस्तान मैच से जुड़े विवादों ने अख़बारों, टीवी और सोशल मीडिया के ज़रिए आपका ध्यान ज़रूर खींचा होगा.
रविवार को फिर सुपर-4 के मुक़ाबले में भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने होंगी. लेकिन रुख़ करते हैं 14 सितंबर का जब दुबई में खेले गए मैच में भारत ने पाकिस्तान को 7 विकेट से हराया.
भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने इस जीत का जश्न मनाया, लेकिन इसके साथ ही एक विवाद भी सामने आया.
टॉस और मैच ख़त्म होने के बाद खिलाड़ियों के बीच हाथ मिलाने की परंपरा रही है. मगर इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ नहीं मिलाया.
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इसे खेल भावना के ख़िलाफ़ बताते हुए नाराज़गी जताई.
भारत की ओर से कहा गया कि यह क़दम 'आतंकवाद' के पीड़ितों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए उठाया गया. लेकिन 'हैंडशेक विवाद' यहीं तक सीमित नहीं रहा.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद और मैच रेफ़री की भूमिका पर भी सवाल उठे कि क्या उन्होंने स्थिति को सही तरह से संभाला.
इन घटनाओं से कई सवाल खड़े होते हैं, क्या जो हुआ, वह नहीं होना चाहिए था? क्या खिलाड़ी राजनीतिक विवादों में पिसते हैं या देश की भावनाओं के साथ उनकी भावनाओं का भी सम्मान होना चाहिए?
सवाल ये भी कि क्या क्रिकेट में स्पॉन्सर्स और पैसे के सवाल काफ़ी बड़े हो चुके हैं, इस विवाद में भारतीय और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की भूमिका को कैसे देखा जाना चाहिए?
बीबीसी हिन्दी के साप्ताहिक कार्यक्रम, 'द लेंस' में कलेक्टिव न्यूज़रूम के डायरेक्टर ऑफ़ जर्नलिज़्म मुकेश शर्मा ने इन्हीं सब मुद्दों पर चर्चा की.
इन्हीं सवालों पर चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप मैगज़ीन, पूर्व क्रिकेटर और कोच विजय दहिया, वरिष्ठ पत्रकार अयाज़ मेमन और नीरू भाटिया शामिल हुए.
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रविवार (14 सितंबर) को भारत और पाकिस्तान के बीच मैच शुरू होने और उसके बाद दोनों खिलाड़ियों ने हाथ नहीं मिलाया था.
टॉस के समय भी भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव और पाकिस्तान के कप्तान सलमान आग़ा के बीच रस्मी 'हैंडशेक' नहीं हुआ था.
पाकिस्तान ने आरोप लगाया था कि मैच रेफ़री एंडी पाइक्रॉफ़्ट ने टॉस के दौरान दोनों टीम के कप्तानों को हाथ न मिलाने को कहा था. इसकी शिकायत पाकिस्तान ने आईसीसी से भी की थी.

साथ ही पाकिस्तान ने यह भी धमकी दी थी कि अगर मैच रेफ़री को न हटाया गया तो वह यूएई के ख़िलाफ़ मैच नहीं खेलेगा. यही कारण था कि एशिया कप में बुधवार को होने वाला पाकिस्तान और यूएई का नॉकआउट मैच देरी से शुरू हुआ. इस मैच को पाकिस्तान ने 41 रनों से जीत लिया था.
इस पर पूर्व क्रिकेटर और कोच विजय दहिया ने कहा, "परंपरा और नियम में फ़र्क़ होता है. जहां तक मैच रेफ़री के बारे में हम बात करते हैं तो अगर किसी नियम को नहीं माना जाता है तो वहां मैच रेफ़री आता है. मैच ख़त्म करने के बाद आप एक-दूसरे से हाथ मिलाते हैं, जो भी चीज़ होती है वह नियम नहीं है. अगर आप देखें तो पहले भी बहुत से ऐसे वाक़ये हुए हैं. बहुत सी ऐसी चीज़ें और टीमों के बीच में भी हो चुकी हैं."
विजय दहिया का मानना है कि इस मुद्दे को इतना उठाया गया क्योंकि मैच रेफ़री ने इंटरव्यू नहीं किया या उन्होंने कुछ नहीं किया.
उन्होंने मैच रेफ़री की भूमिका को साफ़ करते हुए कहा, "मैच रेफ़री तभी तस्वीर में आते हैं जब वहां पर नियम हैं."
वहीं इस पर वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप मैगज़ीन का मानना है कि भारत ने पाकिस्तान के साथ मैच खेलने के लिए जो सहमति जताई, उससे बड़ा बवाल हुआ है.
उनका कहना है, "एक तरफ़ आप कह रहे हैं कि आप पाकिस्तान से टेररिज़्म के लिए लड़ेंगे और दूसरी तरफ़ आप क्रिकेट क्यों खेल रहे हैं. 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद खेल के लिए सहमत होना यह अपने आप में चौंकाने वाला है."
उन्होंने कहा, "आप एक स्पोर्ट्स इवेंट में खेल रहे हैं और आप या तो सहमत ही नहीं होते तो बात ख़त्म हो जाती, लेकिन आपने सहमति जताई तो उसके बाद क्या आपको यह करना चाहिए था? यह बड़ा सवाल है."
क्या भारतीय खिलाड़ियों पर दबाव था?जानकारों का मानना है कि भारतीय खिलाड़ी ने उस मैच के दौरान जो किया या जो कहा उसके लिए उन पर दबाव भी था. लेकिन साथ ही जानकारों का ये भी कहना है कि एक इंसान की अपनी एक फ़ीलिंग होती है और वह ज़ाहिर कर सकता है.
'हैंडशेक विवाद' को लेकर वरिष्ठ पत्रकार नीरू भाटिया का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के इस विवाद में भारतीय खिलाड़ी 'पिसे' हुए थे. उन्होंने कहा कि सरकार के निर्देश थे कि जाइए और खेलिए, तो वे खेलने गए.
नीरू भाटिया ने कहा, "भारतीय खिलाड़ियों के ऊपर दबाव था कि पाकिस्तान टीम के साथ ऐसा कोई ज़्यादा याराना न दिखाएं. आमतौर पर अगर दूसरे टूर्नामेंट्स होते हैं या कोई अच्छे माहौल में होते हैं तो भारत-पाकिस्तान के खिलाड़ी हाथ भी मिलाते हैं और बातचीत भी करते हैं."
इस पर वरिष्ठ पत्रकार अयाज़ मेमन ने कहा, "मेरा मानना यह है कि आप गए, वहां खेले, अच्छी बात है. आपने मैच जीता, बहुत अच्छी बात है. मैच के तुरंत बाद आपने स्टेटमेंट भी दिया. स्टेटमेंट देने के बाद हाथ ना मिलाना, मेरे ख्याल से सबसे ज़्यादा खिलाड़ियों का अपमान है. क्योंकि खिलाड़ियों ने क्या किया था? न भारत के खिलाड़ी और ना ही पाकिस्तान के खिलाड़ी, यह राजनीतिक विवाद चल रहा है, उसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है. अगर आप हाथ मिला लेते तो आपका बाक़ी कोई पोज़िशन नहीं बदलता."
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एशिया कप में बुधवार शाम जब निर्धारित समय तक पाकिस्तान की टीम स्टेडियम नहीं पहुंची तो तरह-तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं. कुछ न्यूज़ चैनलों ने बताया कि पाकिस्तान इस मैच को बॉयकॉट करेगा.
इसके बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के प्रवक्ता आमिर मीर ने पत्रकारों से बातचीत की. उन्होंने बताया कि बोर्ड और आईसीसी अधिकारियों के बीच बातचीत चल रही है और पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात के बीच मैच एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया है.
यूएई के ख़िलाफ़ मैच में देरी और रेफ़री को लेकर उठे विवादों पर वरिष्ठ पत्रकार नीरू भाटिया का मानना है कि यह सब इसलिए हुआ क्योंकि पाकिस्तान भारत से मैच हार गया और उसी पर पर्दा डालने के लिए ऐसा किया गया.
इस पर वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप मैगज़ीन का कहना है कि अगर भारत खेलने पर सहमत हुआ तो पाकिस्तान भी खेलने के लिए राज़ी हुआ है.
उन्होंने भारत के संदर्भ में कहा, "खेल में हाथ नहीं मिलाना इसका मतलब है कि आप अपना प्रोटेस्ट ज़ाहिर कर रहे हैं."
प्रदीप मैगज़ीन ने कहा, "पाकिस्तान को जो शिकायत करनी थी उन्होंने की. लेकिन मेरी समझ से ये बाहर है कि आपने एक मैच देरी से शुरू किया, हमें न्यूज़ चैनलों से पता चला कि पाकिस्तान इस मैच को बॉयकॉट करेगा, लेकिन जो आधिकारिक ब्रॉडकास्टर हैं वह कुछ नहीं बता रहे हैं कि एक घंटे की देरी किस लिए हो रही है."
उन्होंने कहा, "ये टूर्नामेंट ऐसे हालात में हो रहा है कि इससे ये समझ नहीं आ रहा है कि ये युद्ध लड़ने गए हैं कि मैच खेलने गए हैं."
इस मुद्दे पर पूर्व क्रिकेटर और कोच विजय दहिया ने कहा, "कई बार ऐसी चीज़ें होती हैं जो पहली बार हुई होती हैं. तो उसके बाद भी बहुत सारे नियम बनते हैं या आईसीसी की तरफ़ से नज़र डाली जाती है."
उन्होंने कहा, "आईसीसी या एसीसी ने जो ऑफ़िशियल को अपॉइंट किया उनके ख़िलाफ़ अगर कोई भी शिकायत की गई थी, तो उन्होंने उन पहलुओं को ज़रूर देखा होगा और उनको मद्देनज़र रखते हुए उनका यही मानना था कि जो मैच रेफ़री अपॉइंट हुए हैं वो अपनी जगह पर बिल्कुल सही हैं."
विजय दहिया ने कहा, "उनका रोल नहीं है कि वह किसी को जाकर बोलें कि चलिए आप उनसे हाथ मिलाइए."
उन्होंने कहा, "मैच रेफ़री के ख़िलाफ़ जो शिकायत की गई उसमें पीसीबी ने कुछ चीज़ें और जोड़ दीं, जो वह केस बनाने की कोशिश कर रहे थे, वह मज़बूत होने के बजाय और ज़्यादा कमज़ोर हो गया."
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वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप मैगज़ीन का मानना है कि भारत और पाकिस्तान की सरकारें क्रिकेट का इस्तेमाल करती हैं.
वरिष्ठ पत्रकार नीरू भाटिया का कहना है कि क्रिकेट के मुक़ाबले दूसरे खेलों में सरकार का दख़ल इतना ज़्यादा नहीं है. उनके मुताबिक़, "क्रिकेट में पैसा भी है और पॉलिटिशियन भी. तो इसलिए यहां पर मामला थोड़ा जटिल हो जाता है."
इस मुद्दे पर प्रदीप मैगज़ीन ने कहा, "इसका खिलाड़ियों पर बहुत ज़्यादा असर पड़ता है, क्योंकि एक तरह से आप उन्हें शांति और युद्ध के लिए एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हो. शांति के लिए आप उनसे कहते हो कि आप गले मिलकर आओ और वॉर करना है तो कहो कि थप्पड़ मार के आओ. इसलिए इस खेल को राजनीति से अलग रखना बहुत मुश्किल है. हो सकता है कि आगे चल कर लोग एक-दूसरे के साथ मैच खेलना ही न चाहें."
उन्होंने कहा, "अगर यह मैच पाकिस्तान ने जीत लिया होता और उन्होंने यह चीज़ें बोली होतीं, तो इंडिया कैसे रिएक्ट करता. तो ये सवाल इंडियन फ़ैन्स को भी अपने दिमाग़ में रखने चाहिए कि स्पोर्ट्स को स्पोर्ट्स रहने दिया जाए. अगर राजनीति से मिलाना है तो फिर यही होगा."
वरिष्ठ पत्रकार अयाज़ मेमन ने चिंता जताई कि आने वाले समय में एशिया कप होंगे या नहीं और होंगे तो किस तरह होंगे. उन्होंने कहा, "अगर आपके बेस्ट मैच, जो सबसे बड़ा मैच है भारत बनाम पाकिस्तान का, अगर वही ख़तरे में है तो एशिया कप होल्ड करने का कोई मतलब बनता है क्या?"
मेमन ने आगामी टी-20 वर्ल्ड कप का ज़िक्र करते हुए कहा, "इसके अलावा अब आने वाला टी-20 वर्ल्ड कप है, जो इंडिया में खेला जाएगा. यहां पर पाकिस्तान की टीम भी आएगी, इंडिया का वहां पर किस तरह का बर्ताव रहेगा, क्या माहौल बनेगा, देखना होगा."
उन्होंने कुछ पूर्व और मौजूदा क्रिकेटरों पर आरोप लगाया कि वह सोशल मीडिया पर विवाद को और भड़का रहे हैं.
उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया पर मैंने देखा, ख़ासकर जो रिटायर्ड क्रिकेटर हैं, ऐसा लग रहा है कि इंडिया और पाकिस्तान की अगर बात हो रही है तो वह या तो नमक छिड़क रहे हैं या आग में तेल डाल रहे हैं."
विजय दहिया का कहना है कि "क्रिकेट समाज का हिस्सा है, समाज क्रिकेट का हिस्सा नहीं."
उनका मानना है कि कोई भी खिलाड़ी जब मैदान पर उतरता है तो उसके दिमाग़ में बस यही होता है कि वह पिछले मुक़ाबले से कैसे बेहतर कर सकता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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