नालंदा, 3 मई (हि.स.)। रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते दुष्प्रभाव के बीच अब किसान प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। इसी कड़ी में नालंदा जिले के हरनौत प्रखंड अंतर्गत अलीनगर गांव के किसान शुद्धांशु रंजन ने शनिवार को गुड़, गोबर, मट्ठा और नीम की पत्तियों से जैविक खाद तैयार कर एक अनूठी पहल की है। यह प्रयोग राजगीर के तिलैया स्थित प्रज्ञा कृषक हित समूह के अध्यक्ष वीर अभिमन्यु सिंह के दिशा-निर्देश में किया गया है।
समूह के अध्यक्ष ने किसानों को जागरूक करते हुए कहा कि खेती सिर्फ व्यवसाय नहीं बल्कि भारत की आत्मा और भविष्य है। आजादी के बाद हरित क्रांति ने हमें खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया है लेकिन रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से अब भूमि बंजर होती जा रही है और इसका प्रभाव सीधे मानव एवं पशु स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। ऐसे में प्राकृतिक खेती ही एकमात्र समाधान रह गया है।उन्होंने बताया कि यह खाद एक प्रकार का स्वायल प्रोबायोटिक है जो पौधों की वृद्धि, मिट्टी के स्वास्थ्य और मित्र कीटाणुओं की संख्या बढ़ाने में सहायक होगा। यह खाद फसलों को वायरस व अन्य संक्रमणों से भी बचाएगा। इसके प्रयोग से मछली पालन और पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी।
अलीनगर निवासी विजय प्रसाद की पत्नी मनोरमा देवी ने बताया कि आमतौर पर गोबर को सीधे खेतों में डालते हैं जिससे पूरा लाभ नहीं मिल पाता है लेकिन यदि गोबर में गुड़ और मट्ठा मिलाकर खाद तैयार की जाती है तो यह अधिक असरदार और लाभदायक होती है। इसे घर पर ही सरलता से तैयार किया जा सकता है।किसान शुद्धांशु रंजन ने कहा कि यह खाद पहली बार वीर अभिमन्यु सिंह के मार्गदर्शन में तैयार की गई है। अब वे अपने खेतों में रासायनिक उर्वरकों के बजाय इस प्राकृतिक खाद का ही उपयोग करेंगे। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, कैल्शियम, आयरन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी मौजूद रहते हैं जिससे उपज की गुणवत्ता बेहतर होगी और लागत भी घटेगी।इस मौके पर राजीव कुमार, शिशुपाल कुमार, सूरज कुमार, रामचंद्र सिंह समेत दर्जनों किसान उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रमोद पांडे
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