अगली ख़बर
Newszop

दिवाली 2025: अष्टलक्ष्मी पूजा का महत्व और स्वरूप

Send Push
अष्टलक्ष्मी पूजा का महत्व

दीवाली अष्टलक्ष्मी पूजा

अष्टलक्ष्मी पूजा: दीवाली केवल रोशनी और उत्सव का पर्व नहीं है, बल्कि यह मां लक्ष्मी के स्वागत और उनकी पूजा का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। मां लक्ष्मी, जो समृद्धि, ऐश्वर्य और सुख-शांति का प्रतीक हैं, के आठ स्वरूपों को अष्टलक्ष्मी कहा जाता है। ये स्वरूप आद्य, धन, धैर्य, गजा, संतान, वीर, विद्या और महालक्ष्मी जीवन के विभिन्न पहलुओं में सफलता और खुशहाली लाते हैं। इस दिन अष्टलक्ष्मी की पूजा से घर में संपत्ति, सम्मान, शिक्षा, पारिवारिक सुख और साहस का वातावरण बनता है। दिवाली का यह पर्व केवल भौतिक धन का नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक समृद्धि का भी प्रतीक है।

  • आद्य लक्ष्मी स्थिरता और सुरक्षा का प्रतीक हैं। इन्हें मूल संपत्ति और आधार की देवी माना जाता है। उनका पूजन स्थायी समृद्धि और आर्थिक स्थिरता के लिए किया जाता है।
  • धन लक्ष्मी वित्तीय समृद्धि की देवी हैं। व्यवसाय और परिवार की आर्थिक उन्नति के लिए उनका पूजन लाभकारी होता है। धन लक्ष्मी का आशीर्वाद वित्तीय स्थिरता लाता है।
  • धैर्य लक्ष्मी अन्न और कृषि की समृद्धि का प्रतीक हैं। उनके पूजन से खाद्य सुरक्षा बनी रहती है और कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है।
  • गजा लक्ष्मी शक्ति और सामाजिक प्रतिष्ठा की देवी हैं। उनके पूजन से घर में ऐश्वर्य और सम्मान प्राप्त होता है।
  • संतान लक्ष्मी परिवार की वृद्धि की देवी हैं। उनका पूजन सुख-शांति और सौहार्द्र बनाए रखने के लिए किया जाता है।
  • वीर लक्ष्मी साहस और विजय की देवी हैं। कठिनाइयों का सामना करने के लिए उनका पूजन महत्वपूर्ण है।
  • विद्या लक्ष्मी शिक्षा और ज्ञान की देवी हैं। उनके पूजन से विद्यार्थियों की बुद्धि और मानसिक विकास होता है।
  • महालक्ष्मी समग्र समृद्धि और संतुलन की देवी हैं। उनके पूजन से जीवन में खुशहाली और स्थायी समृद्धि प्राप्त होती है।
  • यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है। किसी भी प्रकार के सुझाव के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क कर सकते हैं।


    न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें