जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पति-पत्नी एक-दूसरे के पूरक होते हैं तथा पत्नी का अर्थ होता है, पति का आधा अंग इसीलिए उसे अर्धांगिनी भी कहा जाता है। जब महाभारत का युद्ध लड़ा जा रहा था तब भीष्म पिता ने कहा था कि स्त्री को हमेशा ही खुश रखना चाहिए, क्योंकि उससे आपके वंश का उत्पत्ति होती है। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। । इन सभी बातों के अतिरिक्त भी पत्नियों के बारे में गुण तथा वनों का विस्तार पूर्वक से उल्लेख किया गया है। यदि हम अपनी पत्नी का सम्मान करते हैं और उस की अच्छी तरह से देखभाल करते हैं एवं रक्षा भी तो हमारे वंश की वृद्धि होती है, तथा घर में सुख शांति का माहौल बना रहता है। हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि जिस घर में इस जी की पूजा की जाती है वहां पर हमेशा ही देवियों का वास रहता है, और जिस वजह से पति पत्नी के बीच हमेशा प्रेम बना ही रहना चाहिए। आज हम गरुड़ पुराण के हिसाब से पत्नियों की चार उन गुणों के बारे में बताने जा रहे हैं जो एक औरत के अंदर विद्यमान होने आवश्यक है अथवा जल में यह गुण होते हैं वह पति महा भाग्यशाली कहे जाते हैं।
आइए जानते हैं कौन से गुण होने चाहिए एक औरत के अंदर।- सबसे पहला गुण एक पत्नी के अंदर यह होना चाहिए कि उसको सारे ग्रहों को संचालन करने के गुण विद्यमान होना चाहिए जैसे कि भोजन बनाना साफ सफाई करना घर को सजाना कपड़े बर्तन आदि सुव्यवस्थित रखना बच्चों की जिम्मेदारियों को ठीक से निभाना एवं जो भी मेहमान आए उनका सम्मान करना सत्कार करना यह सारे कार्य करना एक औरत के अंदर होना चाहिए।
- दूसरों के गुण हमेशा पति से मीठे ही भाषा में बात करना चाहिए एवं कभी भी कोई ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करनी चाहिए जिससे पति को दुख पहुंचा हमेशा पति को भी उसकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए तथा उसकी क्षणों को जानना चाहिए औरत को घर में हर व्यक्ति के साथ प्यार से एवं सम्मान से पेश आना चाहिए।

- तीसरा गुण पत्नी के अंदर यह होना चाहिए कि वह हमेशा ही अपने पति के आदेशों का पालन करें एवं उनकी सेवा में लगे रहे कभी भी भूलकर ऐसा कोई गलत काम ना करें जिससे को ठेस पहुंचे या कोई भी ऐसी बात ना करें जिससे उनको दुख पहुंचे हमेशा अपने पति को खुश रहना चाहिए तथा अपने पति के बारे में ही सोचा किसी अन्य पुरुष के बारे में नहीं।
- चौथा गुण पत्नी का सबसे पहला धर्म यही होना चाहिए कि वह जो भी सोचे अपने पति और परिवार के हित के लिए ही सोचिए कोई भी ऐसा कार्य ना करें जिससे उनकी मान मर्यादा को ठेस पहुंचे रोजाना स्नान करती हो सजती-संवरती हो तथा कम बोलती हो एवं निरंतर अपने धर्म का पालन करते रहे।
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