बाबरपुर देहात के सिद्धार्थनगर मोहल्ले में उस सुबह का माहौल आम दिनों जैसा ही था। लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं था कि एक कप चाय के लिए हुई नोकझोंक इतनी बड़ी घटना में बदल जाएगी।
इकलाख, जो रोज की तरह काम पर जाने से पहले चाय पीने का आदी था, उस दिन सुबह सात बजे अपनी पत्नी गुल्फ़शा से चाय बनाने की गुज़ारिश कर रहा था। गुल्फ़शा मोबाइल में व्यस्त थी, शायद किसी चैट या वीडियो में डूबी हुई। बार-बार की आवाज़ ने उसे खीझा दिया। उसने आखिरकार चाय तो बना दी, लेकिन उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ।
गर्म चाय का कप देने के बजाय उसने वही चाय पति के ऊपर फेंक दी। अचानक हुई इस हरकत से इकलाख तिलमिला उठा। लेकिन यहीं बात खत्म नहीं हुई। गुल्फ़शा ने चाय बनाने वाले बर्तन से ही इकलाख पर हमला कर दिया। शोर-शराबे के बीच तीनों बच्चे भी डरकर रोने लगे।
घर का यह झगड़ा जब बेकाबू हो गया, तो गुल्फ़शा तीनों बच्चों को साथ लेकर मायके चली गई। घायल हालत में इकलाख वहीं पड़ा रह गया। पड़ोसियों ने मदद की और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां उसका इलाज कराया गया।
इकलाख ने हिम्मत जुटाकर पत्नी के मायके जाकर मामला समझाने की कोशिश की। लेकिन वहां भी हालात उलट गए। आरोप है कि ससुराल वालों ने उसे समझाने के बजाय धमकी दी कि अगर और ज्यादा बोला तो जान से हाथ धोना पड़ेगा।
मामला थाने पहुंचा तो कोतवाल ललितेश त्रिपाठी ने पुष्टि की कि इकलाख की तहरीर पर उसकी पत्नी गुल्फ़शा और उसके तीन भाइयों – रिजवान, इमरान और रिहान – के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। अब पुलिस जांच कर रही है कि सच में चाय की छोटी सी बहस क्यों और कैसे इतनी बड़ी जंग में बदल गई।
लोगों के बीच अब चर्चा यही है कि आजकल मोबाइल ने रिश्तों में कितना जहर घोल दिया है—जहां कभी प्यार और देखभाल की उम्मीद थी, वहीं अब गुस्सा और अविश्वास का साया मंडरा रहा है।
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