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'पापा से कहती थी कॉल सेंटर में है जॉब, हर रात 8-10 ग्राहक को खुश करना पड़ता था'

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दिल्ली पुलिस ने देह व्यापार में धकेली गई एक 16 साल की बच्ची को मुक्त कराया है। वह कैसे इस धंधे में धकेली गई और किस तरह इतनी छोटी उम्र में उसे जुल्म का सामना करना पड़ा? लड़की ने जो बातें बताईं वह चौंकाने वाली हैं। एसोसिएशन फॉर वालंटरी ऐक्शन की सूचना पर मुक्त कराई गई नाबालिग लड़की ने बताया कि उसे साल भर पहले इस काली दुनिया में धकेला गया जहां उसे हर रात 8 से 10 ग्राहकों को खुश करना पड़ता था। पुलिस ने मामला दर्ज कर एक आरोपी को गिरफ्तार किया है और इस गिरोह में शामिल अन्य संदिग्धों के बारे में तहकीकात जारी है।

पीड़ित बच्ची ने बताया कि दर्द की शिकायत करने पर उसे दर्द निवारक गोलियां दी जाती थीं और फिर ग्राहकों के पास भेज दिया जाता था। इस काम के लिए उसे 500 रुपए दिए जाते थे लेकिन ये पैसे भी उसे कभी-कभार और मांगने पर ही मिलते थे। जब उसने खुद को छोड़ देने की विनती की तो ट्रैफिकिंग गिरोह के सदस्य उसे उसके रिकॉर्ड किए गए वीडियो दिखाकर धमकाते थे कि अगर उसने इस काम से मना करने या भागने की कोशिश की तो इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा।

सहेली ने दिया धोखा
पीड़ित बच्ची को उसकी एक सहेली ने बहला-फुसला कर इस धंधे में धकेला था। सहेली ने बच्ची से कहा था कि वह उसे किसी ऐसे आदमी से मिलवाएगी जो रुपए-पैसे की उसकी सभी समस्याएं चुटकियों में दूर कर देगा। बच्ची ने बताया, ‘सहेली ने मुझे एक भईया से मिलवाया जिन्होंने मुझे ढेर सारे पैसे कमाने के सब्जबाग दिखाए। तब मुझे समझ में नहीं आया कि मुझे किस दलदल में धकेला जा रहा है। जैसे ही मुझे समझ में आया, मैंने इससे बाहर निकलने की कोशिश की। लेकिन उन लोगों ने चुपके से रिकॉर्ड किए गए वीडियो दिखाकर मुझे मुंह बंद रखने की धमकी दी।’

मां की हो चुकी मौत, पिता को कहती थी कॉल सेंटर में है जॉब
बच्ची ने बताया कि उसकी मां की साल भर पहले मौत हो गई थी। वह अपने पिता के साथ रहती है जिन्हें शराब पीने की लत है। बच्ची से जब पूछा गया कि क्या उसके पिता इस बारे में कुछ जानते हैं तो उसने नहीं में सिर हिलाया। उसने कहा, ‘उन्हें कुछ नहीं पता। मैंने उन्हें बता रखा था कि मैं एक कॉल सेंटर में काम करती हूं जहां रात को ड्यूटी होती है।’ बच्ची ने बताया कि वह हर रोज शाम पांच बजे घर से निकलती थी और ग्राहकों के साथ रात बिताने के बाद सुबह 5-6 बजे लौटती थी। इस काम में उसे कोई छुट्टी नहीं मिलती थी और उसे रोजाना 8 से 10 ग्राहकों को खुश करना पड़ता था।

कैसे बचाई गई बच्ची
बाल अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए के लिए काम करने वाली एक संस्था एवीए के वरिष्ठ निदेशक मनीष शर्मा ने बताया, ‘हमारी टीम खुद को ग्राहक की तरह पेश करते हुए गिरोह तक पहुंची। हमें उनका भरोसा जीतने में एक महीने से भी ज्यादा का समय लगा। काफी सौदेबाजी के बाद हमने उसे ऑनलाइन पेमेंट किया लेकिन इसके बाद उसने तुरंत अपना ठिकाना बदल लिया। आखिर में उसने हमें द्वारका बुलाया। हमने तत्काल पश्चिमी द्वारका रेंज के डीसीपी अंकित कुमार सिंह को इस बाबत जानकारी दी। सिंह ने तुरंत अपनी टीम को सूचित किया और छापे की तैयारी की।’

एक आरोपी गिरफ्तार, बोला- मैं अकेला नहीं
मौके पर पहुंचने पर टीम को वहां से शराब की खाली बोतलें, दर्द निवारक दवाइयां, कुछ एंटी बायोटिक और यौन संक्रमण के इलाज में काम आने वाली कुछ दवाइयां मिलीं। पुलिस ने इब्राहिम नाम के एक आरोपी को गिरफ्तार किया है लेकिन उसका मानना है कि वह अकेला नहीं है बल्कि उसके पीछे एक पूरा गिरोह है।

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