नई दिल्ली, 12 अप्रैल . भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) में वृद्धि जारी है. इन सेंटर का ध्यान रिन्यूएबल एनर्जी पर केंद्रित है, जिसमें अपस्ट्रीम, मिडस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में ऑफशोरिंग अवसर भी तेजी से बढ़ रहे हैं.
भारत में तेल और गैस, बिजली और यूटीलिटी, रिन्यूएबल एनर्जी और माइनिंग जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित जीसीसी में तेज वृद्धि देखी जा रही है.
वैश्विक स्तर पर भारत लीडिंग जीसीसी गंतव्यों में से एक है. साथ ही किसी संगठन की जीसीसी यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए देश एक पसंदीदा गंतव्य है, जिसमें बेंगलुरु, मुंबई, पुणे, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, चेन्नई और दूसरे राज्यों में कई विकल्प मौजूद हैं.
एक लेटेस्ट ईवाई रिपोर्ट के अनुसार, “भारत के बढ़ते जीसीसी परिदृश्य और इसके व्यापक ऊर्जा क्षेत्र के बीच की खाई को पाटना ‘तालमेल’ और इनोवेशन को दिखाता है. भारत में 30 से अधिक ऊर्जा क्षेत्र के जीसीसी हैं, जिनके केंद्र पूरे देश में फैले हुए हैं. ये जीसीसी डिजिटल बदलाव और ऑटोमेशन के जरिए इनोवेशन को आगे बढ़ाने के लिए डेडिकेटेड हैं.”
ऊर्जा उद्योग के लीडर्स ने बेंगलुरु, चेन्नई और पुणे जैसे भारतीय शहरों में अपनी अच्छी-खासी उपस्थिति स्थापित की है.
ये निगम अपने संचालन को सुव्यवस्थित करने और ऊर्जा उत्पादन और वितरण में अपनी प्रक्रियाओं में सुधार करने के लिए भारत की ताकत का लाभ उठा रहे हैं.
भारत का ऊर्जा क्षेत्र विविध और कुशल कार्यबल से संचालित है, जिसमें 2.5 मिलियन एसटीईएम ग्रेजुएट और 1.5 मिलियन इंजीनियरिंग छात्र प्रतिवर्ष ग्रेजुएट होते हैं.
ईवाई के एक रिसर्च के अनुसार, एनर्जी जीसीसी में 20,000 से भी ज्यादा लोग काम कर रहे हैं, जो इनोवेशन और बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने में महत्वपूर्ण हैं.
रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र में पर्याप्त वृद्धि देखी जा रही है, जिसमें अप्रैल 2023 तक पवन ऊर्जा क्षमता 42.8 गीगावाट तक पहुंच चुकी है और 2030 तक 63 गीगावाट तक बढ़ने का अनुमान है.
साथ ही, बेंगलुरु टर्बाइन माइक्रो-साइटिंग, जीआईएस मैपिंग और एरोडायनामिक मॉडलिंग में कुशल पेशेवरों के लिए एक केंद्र बन रहा है.
इसके साथ ही, हाइड्रोजन ऊर्जा क्षेत्र में भी तेजी आ रही है, जिसमें मुंबई, पुणे, अहमदाबाद और चेन्नई में प्रमुख प्रतिभा समूह हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत के ऊर्जा क्षेत्र में जीसीसी के लिए दृष्टिकोण आशाजनक है, जो नए प्रवेशकों को अनुकूल कारोबारी माहौल और कुशल कार्यबल का लाभ उठाने का मौका देता है.”
भारत में जीसीसी बाजार ने शानदार वृद्धि दर्ज की है, जिसका बाजार आकार 64 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है और वित्त वर्ष 2019-2024 के लिए लगभग 9.8 प्रतिशत सीएजीआर वृद्धि रिकॉर्ड की गई है.
वर्तमान में, भारत में 1,700 से अधिक जीसीसी हैं, जो 1.9 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं और वैश्विक हिस्सेदारी का 55 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं.
अनुमान है कि 2030 तक भारत में लगभग 2,200 से 2,500 जीसीसी होंगे, जिनका बाजार आकार बढ़कर 110 बिलियन डॉलर हो जाएगा और कुल रोजगार 2.8 मिलियन तक बढ़ जाएगा.
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एसकेटी/एबीएम
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