New Delhi, 22 अक्टूबर . भारतीय सेना की रीढ़ कही जाने वाली इन्फेंट्री लगातार आधुनिक, सक्षम और तकनीकी रूप से सशक्त बनती जा रही है. भारतीय सेना के डीजी इन्फेंट्री लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने Wednesday को बताया कि सेना की पहली 5 भैरव बटालियनें स्थापित की जा चुकी हैं. जल्द ही और भैरव बटालियनें स्थापित की जाएंगी. सेना की इस पहल से भारतीय इन्फेंट्री की रफ्तार और मारक क्षमता में बड़ा इजाफा होगा. वहीं, भारतीय सेना के जवान ड्रोन तकनीक से भी लैस हो चुके हैं.
भैरव बटालियन फुर्तीली, तेज कार्रवाई करने वाली और अचानक हमले की क्षमता से लैस है. हर बटालियन में लगभग 250 उच्च प्रशिक्षित जवान शामिल हैं, जिन्हें विशेष ऑपरेशन और सीमा क्षेत्रों में तैनाती के लिए तैयार किया गया है. इन बटालियनों की सबसे बड़ी ताकत उनका मल्टी-डोमेन एकीकरण है. इनमें आर्टिलरी, सिग्नल्स और एयर डिफेंस शाखाओं से चुने गए सैनिकों को भी शामिल किया गया है, जिससे यह फॉर्मेशन विभिन्न प्रकार के कॉम्बैट ऑपरेशनों के लिए अत्यधिक सक्षम बन गई है.
लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बताया कि इसके अलावा ‘अशनि’ ड्रोन प्लाटून को भारतीय सेना की 380 इन्फेंट्री बटालियनों में स्थापित किया जा चुका है. इन प्लाटून के पास निगरानी, आक्रमण और लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए हर प्रकार के अत्याधुनिक ड्रोन सिस्टम्स मौजूद हैं. भैरव बटालियनें सेना की पारंपरिक इन्फेंट्री और स्पेशल फोर्सेज के बीच सेतु का कार्य करेंगी. इनका उद्देश्य तेज प्रतिक्रिया, गतिशीलता और सटीक हमलों के माध्यम से भविष्य के युद्धक्षेत्र में निर्णायक बढ़त हासिल करना है. भारतीय सेना की यह पहल ‘डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन के अनुरूप है.
बता दें कि शौर्य दिवस से पहले चर्चा करते हुए डीजी इन्फैंट्री ने यह जानकारियां साझा कीं. इन्फेंट्री डे हर वर्ष 27 अक्टूबर को मनाया जाता है. यह दिन 1947 में उस ऐतिहासिक अवसर की याद दिलाता है जब 1 सिख रेजिमेंट श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरी थी और Pakistanी समर्थित घुसपैठियों को पीछे धकेलते हुए जम्मू-कश्मीर की रक्षा की थी. शौर्य दिवस भारतीय इन्फेंट्री के पराक्रम, बलिदान और अटूट जज्बे का प्रतीक है, जो इतिहास और वर्तमान के बीच एक सशक्त सेतु का कार्य करता है.
लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से कई प्रमुख सबक मिले हैं. इनमें उन्नत इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस प्रणालियों का एकीकरण – थल, वायु, नौसेना और सुरक्षा एजेंसियों के बीच संयुक्तता व युद्ध के स्वरूप में परिवर्तन शामिल है. ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सटीक हथियारों का बढ़ता प्रयोग भी इस ऑपरेशन की एक प्रमुख सीख रहा है.
लेफ्टिनेंट जनरल ने आधुनिकीकरण की जानकारी दी. इनमें पहला घातक 7.62 मिमी राइफलें, 4वीं/5वीं पीढ़ी के एंटी-टैंक सिस्टम, नए रॉकेट लॉन्चर और लोइटर म्यूनिशन हैं. सेना में गतिशीलता को महत्व दिया जा रहा है. क्विक रिएक्शन फोर्स वाहन, ऑल-टेरेन व लाइट स्पेशलिस्ट वाहन सेना में शामिल किए गए हैं. संचार के लिए सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो द्वारा एन्क्रिप्टेड युद्धक्षेत्र कनेक्टिविटी को मजबूत किया गया है. ड्रोन, सर्विलांस रडार और थर्मल इमेजर्स के माध्यम से रीयल-टाइम स्थिति जागरूकता को बढ़ावा देने का काम किया गया है. आधुनिक बुलेटप्रूफ जैकेट, टैक्टिकल शील्ड और उन्नत सैनिक किट शामिल की गई हैं. प्रशिक्षण के लिए सिम्युलेटर, कंटेनराइज्ड फायरिंग रेंज और डिजिटल कॉम्बैट ट्रेनिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है.
लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार के मुताबिक, हर इन्फेंट्री बटालियन में समर्पित ड्रोन पलटून की स्थापना से युद्धक्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव आया है. अब ड्रोन न केवल निगरानी बल्कि सटीक हमलों में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. इन्फेंट्री अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, प्रिसीजन गाइडेड वेपन्स, नेटवर्क्ड सिस्टम्स और स्वायत्त तकनीकों से लैस है.
लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार के अनुसार, भारतीय सेना की बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में बढ़ती भागीदारी न केवल इसकी पेशेवर क्षमता बल्कि वैश्विक इंटरऑपरेबिलिटी का भी प्रमाण है. ये अभ्यास हाइब्रिड ऑपरेशन और मानवीय सहायता व आपदा राहत अभियानों की तैयारी को भी सुदृढ़ करते हैं. उन्होंने बताया कि इन्फेंट्री का आधुनिकीकरण आत्मनिर्भरता पर आधारित है. यूक्रेन और गाजा जैसे लंबे युद्धों ने यह सिखाया है कि ‘ग्राउंड पर बूट्स’ और आपूर्ति में आत्मनिर्भरता अनिवार्य है. भविष्य के युद्ध हाइब्रिड, बहु-क्षेत्रीय और दीर्घकालिक होंगे, जिनमें सहयोग, नवाचार और अनुकूलनशीलता निर्णायक भूमिका निभाएंगे.
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जीसीबी/डीकेपी
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