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भगवान बद्री विशाल के अभिषेक के लिए नरेंद्रनगर स्थित राजमहल में पिरोया गया तिल का तेल

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नरेंद्र नगर, 22 अप्रैल . धरती का बैकुंठ धाम कहे जाने वाले भगवान बद्रीनाथ के अभिषेक के लिए नरेंद्रनगर स्थित राजमहल में पवित्र अनुष्ठान संपन्न हुआ.

टिहरी की सांसद और महारानी राज्य लक्ष्मी शाह की अगुवाई में नगर की 70 से अधिक सुहागिन महिलाओं ने व्रत रखकर, पीले वस्त्र धारण कर, मूसल, ओखली और सिलबट्टे से तिल का तेल पिरोया. यह तेल भगवान बद्रीनाथ के अभिषेक के लिए उपयोग किया जाएगा, जो हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखता है.

इस पवित्र प्रक्रिया में तिल के तेल में विशेष जड़ी-बूटियां डाली गईं और इसे खास बर्तन में तेज आंच पर पकाया गया. इसके बाद तेल को चांदी के कलश में परिपूरित किया गया. राजमहल में पहुंचे डिमरी केंद्रीय धार्मिक पंचायत बद्रीनाथ धाम के पुजारियों ने तेल से भरे कलश की विधिवत पूजा-अर्चना की. पूजा के बाद सुहागिन महिलाओं और राज परिवार को भोग प्रसाद वितरित किया गया. इसके पश्चात राज परिवार ने तेल कलश (गाडू घड़ा) डिमरी केंद्रीय धार्मिक पंचायत को सौंपा, जो बद्रीनाथ धाम ले जाया जाएगा.

महारानी राज्य लक्ष्मी शाह ने इस अवसर पर कहा, “भगवान बद्रीनाथ करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र हैं. मैं देश-प्रदेश के लोगों से आग्रह करती हूं कि वे बद्रीनाथ धाम के दर्शन के लिए अवश्य आएं. भगवान बद्रीनाथ से मैं सभी के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना करती हूं.”

आज शाम को राजमहल नरेंद्रनगर से तेल कलश को सुसज्जित रथ में रखकर एक भव्य शोभा यात्रा शुरू होगी, जो बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी. यह शोभा यात्रा 3 मई को बद्रीनाथ धाम पहुंचेगी. इसके बाद 4 मई को प्रातः 6:00 बजे भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे. तिल का तेल पिरोने और गाडू घड़ा शोभायात्रा के साथ ही चार धाम यात्रा की औपचारिक शुरुआत मानी जाती है, जो उत्तराखंड के लिए धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है.

इस अवसर पर महारानी की पुत्री क्षीरजा अरोड़ा, बेटी की पुत्री अहाना और डिमरी केंद्रीय धार्मिक पंचायत के शैलेंद्र डिमरी, संजय डिमरी, अरविंद डिमरी, हरीश डिमरी, दिवाकर डिमरी, अन्य संबंधी रिश्तेदार आदि मौजूद थे.

शैलेंद्र डिमरी ने बताया कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और यह भगवान बद्रीनाथ के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है. यह अनुष्ठान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को भी जीवंत रखता है. गाडू घड़ा शोभा यात्रा बद्रीनाथ धाम की पवित्रता का प्रतीक है. हम सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध करते हैं कि वे यात्रा के दौरान धाम की गरिमा बनाए रखें.

एकेएस/

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