नई दिल्ली: आज की तारीख में 9 देश ऐसे हैं, जो परमाणु शक्ति से संपन्न हैं। ये देश हैं अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस, भारत , पाकिस्तान, इजरायल और नॉर्थ कोरिया। इनमें से पांच देश अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन हाइड्रोजन बम की पुष्टि कर चुके हैं, जबकि भारत और नॉर्थ कोरिया के दावे को लेकर विवाद है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान भारत के लिए बड़ा मौका साबित हो सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वैसे तो ऊल-जलूल बयान देने के लिए पूरी दुनिया में फेमस हो चुके हैं। लेकिन उनके एक बयान ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है। ट्रंप का दावा है कि रूस और नॉर्थ कोरिया के अलावा पाकिस्तान और चीन चोरी छिपे गुप्त परमाणु परीक्षण कर रहे हैं और इसलिए अमेरिका भी खुलकर परमाणु हथियारों का परीक्षण करेगा।
रूस के परीक्षण ने ट्रंप को भड़कायाट्रंप ने तो अमेरिकी सेना को ये आदेश भी दे दिया है कि अपने परमाणु परीक्षण को और बढ़ा दो। ट्रंप का ये ज्यादातर दावों की तरह खोखला इसलिए नहीं लगता, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा है कि जल्द पूरी दुनिया को पता चल जाएगा कि अमेरिका का परमाणु परीक्षण कब होगा। हालांकि, ट्रंप का ये जवाब सीधे तौर पर रूस के लिए था, क्योंकि हाल ही में रूस ने परमाणु संचालित अंडरवाटर ड्रोन का परीक्षण किया है। रूस के इसी टेस्ट के बाद ट्रंप बुरी तरह से भड़क गए हैं। लेकिन भारत के लिए ट्रंप का भड़कना मौके की तरह है।
ट्रंप का दावा कान खड़े करने वालाभारत के लिए रूस और नॉर्थ कोरिया को लेकर किया गया ट्रंप का दावा इतना अहम नहीं है, लेकिन चीन और पाकिस्तान को लेकर ट्रंप का दावा कान खड़े करने वाला है। रूस और अमेरिका के बीच चल रहे इस तनाव के बीच एक्सपर्ट्स ने परमाणु हथियारों के परीक्षण को लेकर भारत की पॉलिसी पर सवाल उठाए हैं। ट्रंप के इस दावे ने भारत के लिए फिर से परमाणु परीक्षण करने के रास्ते खोल दिए हैं।
खुद को साबित करने का मौकाएक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर भारत फिर से कोशिश करता है तो हमें हाइड्रोजन बम के प्रोडक्शन को साबित करने का मौका मिलेगा। दरअसल, पोखरण-2 के एक दशक से भी ज्यादा समय बाद डीआरडीओ के वैज्ञानिक के. संथानम ने मई 1998 में कहा था कि थर्मोन्यूक्लियर या हाइड्रोजन बम कम क्षमता वाला है और देश के सामरिक उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाएगा। हालांकि, परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के तत्कालीन अध्यक्ष राजगोपाला चिदंबरम ने इन दावों का खंडन कर दिया था।
CTBT को लेकर पैदा हुई चिंताट्रंप के आदेश ने परमाणु परीक्षण को लेकर की गई संधि (CTBT) के खत्म होने की चिंता पैदा कर दी है। ये वही संधि है, जो सिविल और मिलिट्री दोनों मामलों में परमाणु परीक्षण न करने के लिए बाध्य करती है। बता दें कि आज तक भारत की यह पॉलिसी है कि हम कभी भी किसी भी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वैसे तो ऊल-जलूल बयान देने के लिए पूरी दुनिया में फेमस हो चुके हैं। लेकिन उनके एक बयान ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है। ट्रंप का दावा है कि रूस और नॉर्थ कोरिया के अलावा पाकिस्तान और चीन चोरी छिपे गुप्त परमाणु परीक्षण कर रहे हैं और इसलिए अमेरिका भी खुलकर परमाणु हथियारों का परीक्षण करेगा।
रूस के परीक्षण ने ट्रंप को भड़कायाट्रंप ने तो अमेरिकी सेना को ये आदेश भी दे दिया है कि अपने परमाणु परीक्षण को और बढ़ा दो। ट्रंप का ये ज्यादातर दावों की तरह खोखला इसलिए नहीं लगता, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा है कि जल्द पूरी दुनिया को पता चल जाएगा कि अमेरिका का परमाणु परीक्षण कब होगा। हालांकि, ट्रंप का ये जवाब सीधे तौर पर रूस के लिए था, क्योंकि हाल ही में रूस ने परमाणु संचालित अंडरवाटर ड्रोन का परीक्षण किया है। रूस के इसी टेस्ट के बाद ट्रंप बुरी तरह से भड़क गए हैं। लेकिन भारत के लिए ट्रंप का भड़कना मौके की तरह है।
ट्रंप का दावा कान खड़े करने वालाभारत के लिए रूस और नॉर्थ कोरिया को लेकर किया गया ट्रंप का दावा इतना अहम नहीं है, लेकिन चीन और पाकिस्तान को लेकर ट्रंप का दावा कान खड़े करने वाला है। रूस और अमेरिका के बीच चल रहे इस तनाव के बीच एक्सपर्ट्स ने परमाणु हथियारों के परीक्षण को लेकर भारत की पॉलिसी पर सवाल उठाए हैं। ट्रंप के इस दावे ने भारत के लिए फिर से परमाणु परीक्षण करने के रास्ते खोल दिए हैं।
#WATCH | Delhi | Defence Expert Sanjeev Srivastava says, "US President Donald Trump has claimed that China, Russia, North Korea, and Pakistan are conducting secret nuclear testing continuously... In the last 12 days, Russia has unveiled three major nuclear-powered defence… pic.twitter.com/13uF9E6hQY
— ANI (@ANI) November 3, 2025
खुद को साबित करने का मौकाएक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर भारत फिर से कोशिश करता है तो हमें हाइड्रोजन बम के प्रोडक्शन को साबित करने का मौका मिलेगा। दरअसल, पोखरण-2 के एक दशक से भी ज्यादा समय बाद डीआरडीओ के वैज्ञानिक के. संथानम ने मई 1998 में कहा था कि थर्मोन्यूक्लियर या हाइड्रोजन बम कम क्षमता वाला है और देश के सामरिक उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाएगा। हालांकि, परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के तत्कालीन अध्यक्ष राजगोपाला चिदंबरम ने इन दावों का खंडन कर दिया था।
CTBT को लेकर पैदा हुई चिंताट्रंप के आदेश ने परमाणु परीक्षण को लेकर की गई संधि (CTBT) के खत्म होने की चिंता पैदा कर दी है। ये वही संधि है, जो सिविल और मिलिट्री दोनों मामलों में परमाणु परीक्षण न करने के लिए बाध्य करती है। बता दें कि आज तक भारत की यह पॉलिसी है कि हम कभी भी किसी भी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेंगे।
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