नई दिल्ली: दिल्ली के परिवहन मंत्री पंकज कुमार सिंह ने कहा है कि डीटीसी में बसों की कोई कमी नहीं है और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था बेहतर तरीके से चल रही है। यह बयान एनबीटी में बसों की कमी से जुड़ी खबर छपने के बाद आया है। एनबीटी ने सड़कों पर बसों की कमी और यात्रियों को हो रही परेशानी को प्रमुखता से दिखाया था।
मंत्री ने बताया कि परिवहन विभाग के पास फिलहाल करीब 4,000 बसें है, जबकि दिल्ली को 11,000 बसों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बसों के वेटिंग टाइम को कम करने के लिए काम चल रहा है। किसी भी रूट पर बस सेवा बंद नहीं की गई है। इसके अलावा टूटे बस क्यू शेल्टर्स को ठीक करने के लिए विभाग को निर्देश भी जारी किए गए हैं।
बसों की संख्या बढ़ाने पर हो रहा काम
पंकज सिंह ने माना कि यात्रियों के वेटिंग टाइम को कम करने के लिए बसों की संख्या बढ़ाने पर काम चल रहा है। आईआईटी दिल्ली द्वारा किए गए डिटेल एनालिसिस के आधार पर बस रूट रेशनलाइजेशन भी किया जा रहा है ताकि वेटिंग टाइम में कमी आ सके। उनका कहना है कि अगले साल तक बसों की संख्या 7,000 तक पहुंच जाएगी।
508 रूटो पर चल रही बसें
मंत्री ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में कुल 50S रूट्स पर बसें चल रही हैं। इनमें 426 सिटी रूट्स, 12 एनसीआर रूट्स और 70 देवी बस रूट्स शामिल हैं। इन रूट्स पर कुल 4,000 से अधिक बसें चलाई जा रही हैं।
राजधानी की सड़कों पर बसों की कमी अचानक नहीं हुई है। सरकार और डीटीसी मैनेजमेंट को पहले से पता था कि बसों की उम्र खत्म हो रही है, लेकिन नई बसों की खरीद में देरी और उसके बाद डिलिवरी न मिलने से यह समस्या और बढ़ गई है। दिल्ली में जहां यात्रियों की संख्या के लिहाज से करीब 11 हजार बसों की जरूरत है, वहीं फिलहाल आधी बसें ही सड़कों पर बची है। आइए जानते हैं बसों की कमी की प्रमुख वजहें...
बसों की खरीद में हुई देरी
दिल्ली में डीटीसी के तहत आखिरी बार बसों की बड़ी खेप 2009 से 2011 के बीच कॉमनवेल्थ गेम्स के समय आई थी। उस दौरान ही साफ था कि बसों की अधिकतम उम्र 10 साल तय है। इसके बावजूद नई बसों की खरीद को गंभीरता से नहीं लिया गया।
मंत्री ने बताया कि परिवहन विभाग के पास फिलहाल करीब 4,000 बसें है, जबकि दिल्ली को 11,000 बसों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बसों के वेटिंग टाइम को कम करने के लिए काम चल रहा है। किसी भी रूट पर बस सेवा बंद नहीं की गई है। इसके अलावा टूटे बस क्यू शेल्टर्स को ठीक करने के लिए विभाग को निर्देश भी जारी किए गए हैं।
बसों की संख्या बढ़ाने पर हो रहा काम
पंकज सिंह ने माना कि यात्रियों के वेटिंग टाइम को कम करने के लिए बसों की संख्या बढ़ाने पर काम चल रहा है। आईआईटी दिल्ली द्वारा किए गए डिटेल एनालिसिस के आधार पर बस रूट रेशनलाइजेशन भी किया जा रहा है ताकि वेटिंग टाइम में कमी आ सके। उनका कहना है कि अगले साल तक बसों की संख्या 7,000 तक पहुंच जाएगी।
508 रूटो पर चल रही बसें
मंत्री ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में कुल 50S रूट्स पर बसें चल रही हैं। इनमें 426 सिटी रूट्स, 12 एनसीआर रूट्स और 70 देवी बस रूट्स शामिल हैं। इन रूट्स पर कुल 4,000 से अधिक बसें चलाई जा रही हैं।
राजधानी की सड़कों पर बसों की कमी अचानक नहीं हुई है। सरकार और डीटीसी मैनेजमेंट को पहले से पता था कि बसों की उम्र खत्म हो रही है, लेकिन नई बसों की खरीद में देरी और उसके बाद डिलिवरी न मिलने से यह समस्या और बढ़ गई है। दिल्ली में जहां यात्रियों की संख्या के लिहाज से करीब 11 हजार बसों की जरूरत है, वहीं फिलहाल आधी बसें ही सड़कों पर बची है। आइए जानते हैं बसों की कमी की प्रमुख वजहें...
बसों की खरीद में हुई देरी
दिल्ली में डीटीसी के तहत आखिरी बार बसों की बड़ी खेप 2009 से 2011 के बीच कॉमनवेल्थ गेम्स के समय आई थी। उस दौरान ही साफ था कि बसों की अधिकतम उम्र 10 साल तय है। इसके बावजूद नई बसों की खरीद को गंभीरता से नहीं लिया गया।
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