पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महिला वोटरों ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। इस बार दोनों चरण मिला कुल 71.61 फीसदी महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। 2020 में महिला वोटिंग का प्रतिशत 59.69 था। यानी पिछली बार की तुलना में इस बार करीब 10 फीसदी से अधिक महिलाओं ने वोट दिये हैं। महिला मत प्रतिशत में 10 फीसदी के उछाल से चुनावी नतीजों में बड़े परिवर्तन का संकेत मिल रहा है। एग्जिट पोल के सर्वे में भावी परिवर्तन की झलक मिल रही है। एनडीए की वापसी का जो अनुमान लगाया जा रहा है उसकी सबसे बड़ी वजह महिला वोटरों की अतिसक्रियता ही है। ऐसा माना जा रहा है कि महिला वोटरों के उत्साह ने सत्ता विरोधी लहर को काट कर नतीजों की दिशा नीतीश कुमार की तरफ मोड़ दी है।
'10 हजारी' चाबी का कमाल
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत बिहार की करीब 1 करोड़ 51 लाख महिलाओं को 10 हजार रुपये प्रदान किये गये हैं। यह संख्या (1.51 करोड़) कुल महिला वोटरों की आबादी का 40 फीसदी है। एक महिला के लाभान्वित होने से पूरे परिवार को खुशी हुई। यानी एक महिला ने अपने परिवार के कई वोटरों को प्रभावित किया। इसका मतलब है इस योजना के से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या डेढ़ करोड़ से अधिक होगी। इतनी बड़ी संख्याबल का समर्थन किसी चुनाव के नतीजे को बुलंदियों पर पहुंचा सकता है। इस योजना के कारण भी महिला वोट प्रतिशत में जबर्दस्त उछाल आया है।
महिला वोट में रिकॉर्ड उछाल
पहले चरण में पटना को छोड़ कर सभी 17 जिलों में महिला वोटिंग का परसेंटेज पुरुषों से अधिक रहा। 18 में 7 जिले ऐसे रहे जहां महिला वोटिंग का प्रतिशत 70 से अधिक रहा। सबसे अधिक समस्तीपुर जिल में 77.42 फीसदी मतदान (महिला) हुआ। इसके बाद मधेपुरा का दूसरा स्थान रहा जहां 77.04 फीसदी महिलाओं ने वोट किये। मुजफ्फरपुर तीसरे स्थान पर रहा जहां 76.57 फीसदी महिलाओं ने वोट किया। दूसरे चरण में 7 ऐसे जिले हैं जहां 70 फीसदी से अधिक मतदान हुआ है। ये जिले हैं- कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया, सुपौल, पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चम्पारण और बांका। दूसरे चरण में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का वोटिंग परसेंटेज 10 फीसदी अधिक है। यानी इन जिलों में महिला वोटरों ने चुनाव में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
31 लाख लखपति जीविका दीदियां
बिहार देश का पहला राज्य है जहां 31 लाख से अधिक जीविका दीदियां लखपति हैं। लखपति दीदियों का मतलब है उनकी सालाना कमाई एक लाख रुपये से अधिक है। जीविका दीदियों को लखपति बनाने की योजना 2023 में शुरू हुई थी। इसके पहले वे उनकी कमाई 60-70 हजार सालाना थी। जब 2020 में उनकी कमाई कुछ कम थी तब तो उन्होंने नीतीश कुमार का समर्थन किया। अब जब 31 लाख से अधिक लखपति दीदियां हो गयी हैं तो जाहिर उन्होंने 2025 में अधिक मजबूती से नीतीश कुमार का समर्थन किया होगा।
महिला वोट प्रतिशत बढ़ने के मायने
महिलाओं की इस कमाई का चुनाव पर क्या असर पड़ा, यह 2020 के नतीजे से साफ हो जाता है। 2020 में महिला वोटिंग का परसेंटेज 59.69 था। ये महिला वोटर हीं थीं कि नीतीश कुमार तमाम झटकों के बाद भी सत्ता बरकरार रखने में कामयाब हुए थे। चिराग पासवान ने जदयू की राह में जो कांटे बिछाये थे इसके दर्द को महिला वोटरों ने ही कम किया था। 2020 में जदयू ने 43 सीटें जीती थीं। इनमें से 37 सीटों पर वह महिला वोटिंग परसेंटेज में उछाल के कारण जीता था। अगर महिलाओं ने नीतीश कुमार का बढ़ चढ़ कर समर्थन नहीं किया होता तो जदयू की और भी खराब हालत रहती।
'10 हजारी' चाबी का कमाल
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत बिहार की करीब 1 करोड़ 51 लाख महिलाओं को 10 हजार रुपये प्रदान किये गये हैं। यह संख्या (1.51 करोड़) कुल महिला वोटरों की आबादी का 40 फीसदी है। एक महिला के लाभान्वित होने से पूरे परिवार को खुशी हुई। यानी एक महिला ने अपने परिवार के कई वोटरों को प्रभावित किया। इसका मतलब है इस योजना के से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या डेढ़ करोड़ से अधिक होगी। इतनी बड़ी संख्याबल का समर्थन किसी चुनाव के नतीजे को बुलंदियों पर पहुंचा सकता है। इस योजना के कारण भी महिला वोट प्रतिशत में जबर्दस्त उछाल आया है।
महिला वोट में रिकॉर्ड उछाल
पहले चरण में पटना को छोड़ कर सभी 17 जिलों में महिला वोटिंग का परसेंटेज पुरुषों से अधिक रहा। 18 में 7 जिले ऐसे रहे जहां महिला वोटिंग का प्रतिशत 70 से अधिक रहा। सबसे अधिक समस्तीपुर जिल में 77.42 फीसदी मतदान (महिला) हुआ। इसके बाद मधेपुरा का दूसरा स्थान रहा जहां 77.04 फीसदी महिलाओं ने वोट किये। मुजफ्फरपुर तीसरे स्थान पर रहा जहां 76.57 फीसदी महिलाओं ने वोट किया। दूसरे चरण में 7 ऐसे जिले हैं जहां 70 फीसदी से अधिक मतदान हुआ है। ये जिले हैं- कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया, सुपौल, पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चम्पारण और बांका। दूसरे चरण में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का वोटिंग परसेंटेज 10 फीसदी अधिक है। यानी इन जिलों में महिला वोटरों ने चुनाव में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
31 लाख लखपति जीविका दीदियां
बिहार देश का पहला राज्य है जहां 31 लाख से अधिक जीविका दीदियां लखपति हैं। लखपति दीदियों का मतलब है उनकी सालाना कमाई एक लाख रुपये से अधिक है। जीविका दीदियों को लखपति बनाने की योजना 2023 में शुरू हुई थी। इसके पहले वे उनकी कमाई 60-70 हजार सालाना थी। जब 2020 में उनकी कमाई कुछ कम थी तब तो उन्होंने नीतीश कुमार का समर्थन किया। अब जब 31 लाख से अधिक लखपति दीदियां हो गयी हैं तो जाहिर उन्होंने 2025 में अधिक मजबूती से नीतीश कुमार का समर्थन किया होगा।
महिला वोट प्रतिशत बढ़ने के मायने
महिलाओं की इस कमाई का चुनाव पर क्या असर पड़ा, यह 2020 के नतीजे से साफ हो जाता है। 2020 में महिला वोटिंग का परसेंटेज 59.69 था। ये महिला वोटर हीं थीं कि नीतीश कुमार तमाम झटकों के बाद भी सत्ता बरकरार रखने में कामयाब हुए थे। चिराग पासवान ने जदयू की राह में जो कांटे बिछाये थे इसके दर्द को महिला वोटरों ने ही कम किया था। 2020 में जदयू ने 43 सीटें जीती थीं। इनमें से 37 सीटों पर वह महिला वोटिंग परसेंटेज में उछाल के कारण जीता था। अगर महिलाओं ने नीतीश कुमार का बढ़ चढ़ कर समर्थन नहीं किया होता तो जदयू की और भी खराब हालत रहती।
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