लेखक: विवेक शुक्ला
नॉर्थ ब्लॉक की पहली मंजिल पर एक विशाल कक्ष बना है। यह वही कमरा है, जहां से आजादी के बाद भारत की आंतरिक सुरक्षा की निगहबानी होती रही है। जब देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल थे, तो इसी कमरे से बैठकर उन्होंने संपूर्ण भारत को एक करने का सपना साकार किया। सरदार पटेल से लेकर अमित शाह तक, देश के हर गृह मंत्री ने इसी कक्ष में बैठकर एक से बढ़कर एक अहम फैसलों की जमीन तैयार की। पर अब खबर यह है कि जल्द ही गृह मंत्रालय कर्तव्य पथ पर स्थित एक नए भवन में पूरी तरह से शिफ्ट होने जा रहा है। जाहिर है, तब देश के गृह मंत्री भी नए दफ्तर से काम करेंगे।
राज्यों का भाषाई पुनर्गठन
नॉर्थ ब्लॉक का वह कक्ष अपने आप में हमेशा खास रहेगा, जहां से लौह पुरुष सरदार पटेल ने स्वतंत्रता के बाद 562 रियासतों का भारत में विलय सुनिश्चित किया था। यहीं हैदराबाद में हुए ‘ऑपरेशन पोलो’ जैसे ऐतिहासिक अभियान की भी तैयारी हुई थी। बेशक, नॉर्थ ब्लॉक के चप्पे-चप्पे पर सरदार पटेल के फैसलों की छाप है। वह सुबह ही यहां अपने कक्ष में आ जाते थे और फिर रात को 11 बजे के बाद ही अपने 1, औरंगजेब रोड स्थित घर में जाया करते थे।
लाल बलुआ के पत्थर से बने नॉर्थ ब्लॉक का निर्माण 1927 तक पूरा हो गया था। यहां 1947 तक ब्रिटिश सरकार के भारत में काम करने वाले अहम अफसरों के दफ्तर थे। सरदार पटेल के बाद नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्री के कक्ष में गोविंद वल्लभ पंत 1955 से लेकर 1961 तक रहे। उन्हीं की देखरेख में राज्यों का भाषाई आधार पर पुनर्गठन किया गया।
पंत से नॉर्थ ब्लॉक में मुलाकात के लिए दलाई लामा भी आया करते थे। दलाई लामा 31 मार्च, 1959 को अपने कुछ साथियों और परिवार के साथ भारत आए थे। फिर उन्हें दिल्ली लाया गया और वह कई महीनों तक हैदराबाद हाउस में रहे। उस दौर में दलाई लामा नॉर्थ ब्लॉक में गृहमंत्री पंत से अपने और अपने साथियों के पुनर्वास पर बातचीत करने के लिए बार-बार वहां का चक्कर लगाया करते थे।
नॉर्थ ब्लॉक की पहली मंजिल पर एक विशाल कक्ष बना है। यह वही कमरा है, जहां से आजादी के बाद भारत की आंतरिक सुरक्षा की निगहबानी होती रही है। जब देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल थे, तो इसी कमरे से बैठकर उन्होंने संपूर्ण भारत को एक करने का सपना साकार किया। सरदार पटेल से लेकर अमित शाह तक, देश के हर गृह मंत्री ने इसी कक्ष में बैठकर एक से बढ़कर एक अहम फैसलों की जमीन तैयार की। पर अब खबर यह है कि जल्द ही गृह मंत्रालय कर्तव्य पथ पर स्थित एक नए भवन में पूरी तरह से शिफ्ट होने जा रहा है। जाहिर है, तब देश के गृह मंत्री भी नए दफ्तर से काम करेंगे।
राज्यों का भाषाई पुनर्गठन
नॉर्थ ब्लॉक का वह कक्ष अपने आप में हमेशा खास रहेगा, जहां से लौह पुरुष सरदार पटेल ने स्वतंत्रता के बाद 562 रियासतों का भारत में विलय सुनिश्चित किया था। यहीं हैदराबाद में हुए ‘ऑपरेशन पोलो’ जैसे ऐतिहासिक अभियान की भी तैयारी हुई थी। बेशक, नॉर्थ ब्लॉक के चप्पे-चप्पे पर सरदार पटेल के फैसलों की छाप है। वह सुबह ही यहां अपने कक्ष में आ जाते थे और फिर रात को 11 बजे के बाद ही अपने 1, औरंगजेब रोड स्थित घर में जाया करते थे।
लाल बलुआ के पत्थर से बने नॉर्थ ब्लॉक का निर्माण 1927 तक पूरा हो गया था। यहां 1947 तक ब्रिटिश सरकार के भारत में काम करने वाले अहम अफसरों के दफ्तर थे। सरदार पटेल के बाद नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्री के कक्ष में गोविंद वल्लभ पंत 1955 से लेकर 1961 तक रहे। उन्हीं की देखरेख में राज्यों का भाषाई आधार पर पुनर्गठन किया गया।
पंत से नॉर्थ ब्लॉक में मुलाकात के लिए दलाई लामा भी आया करते थे। दलाई लामा 31 मार्च, 1959 को अपने कुछ साथियों और परिवार के साथ भारत आए थे। फिर उन्हें दिल्ली लाया गया और वह कई महीनों तक हैदराबाद हाउस में रहे। उस दौर में दलाई लामा नॉर्थ ब्लॉक में गृहमंत्री पंत से अपने और अपने साथियों के पुनर्वास पर बातचीत करने के लिए बार-बार वहां का चक्कर लगाया करते थे।
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