125 साल पहले सन 1900 में यूनान के एजियन समुद्र में एक मशीन मिली थी, नाम था एंटीकाइथेरा। उसे दुनिया का पहला कंप्यूटर कहा गया था। तब किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन इंसान फिर उसी तकनीक पर बेहद अडवांस सोचने वाली मशीन बनाएगा। चीन के वैज्ञानिकों ने ऐसी नई चिप बनाई है जो सिर्फ डेटा नहीं संभालती, खुद सोचती भी है, बिलकुल हमारे दिमाग की तरह और उस चिप की तकनीक एंटीकाइथेरा जैसी है। मौजूदा डिजिटल चिप 0 और 1 पर काम करती हैं, लेकिन यह नई एनालॉग चिप अपने सर्किट्स के जरिए सीधे कैल्कुलेशन करती है। इसकी रफ्तार इतनी तेज है कि यह Nvidia और AMD जैसी दुनिया की बड़ी कंपनियों की चिप्स से करीब 1000 गुना आगे निकल गई है।
यह चिप रेजस्टिव रैंडम एक्सेस मेमोरी (RRAM) पर बनी है। RRAM की वजह से डेटा को स्टोर और प्रोसेस, दोनों करती है, जिससे एनर्जी की खपत 100 गुना तक घट जाती है और स्पीड बुलेट ट्रेन जैसी बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में इस तरह की सोचने वाली चिप से सुपरकंप्यूटर, रोबॉट और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया पूरी तरह बदल सकती है।
वैज्ञानिकों का दावा क्या है?पेइचिंग (Beijing) स्थित पेकिंग यूनिवर्सिटी (Peking University) की टीम का कहना है कि यह चिप पावर खपत और धीमे डेटा प्रोसेसिंग जैसी बड़ी मुश्किलों का हल है। टेक्नॉलजी के तेज विकास में यही दो चीजें रुकावट बन रही थीं। इस चिप ने उन्हीं टास्क्स को किया जो आमतौर पर Nvidia H100 जैसे महंगे डिजिटल GPU करते हैं, लेकिन इसमें न सिर्फ उतनी ही सटीकता मिली, बल्कि यह 1,000 गुना तेज भी चल सका।
इतिहास को दोहरा रही यह रिसर्चएनालॉग कंप्यूटिंग का आइडिया नया नहीं है। इतिहासकार दावा करते हैं कि 2,000 साल पहले ग्रीस में बना एंटीकाइथेरा मैकेनिज्म (Antikythera mechanism) भी एक तरह का एनालॉग कंप्यूटर ही था। एंटीकाइथेरा से ग्रहों की चाल की गणना की जाती थी।
एनालॉग सिस्टम में समस्या यह होती है कि ये बहुत नाजुक होते हैं और थोड़ी सी गलती पर रिजल्ट गड़बड़ हो सकता है। डिजिटल कंप्यूटर इसलिए लोकप्रिय हुए क्योंकि वे हर गणना को 0 और 1 के रूप में एकदम सटीक कर पाते हैं। चीन के इस नए शोध ने साबित कर दिया है कि अगर एनालॉग सिस्टम्स में आधुनिक मेमोरी टेक्नोलॉजी लगा दी जाए, तो वे भी डिजिटल कंप्यूटर जितने सटीक और उससे कहीं तेज हो सकते हैं।
आम लोगों के लिए इस रिसर्च का क्या मतलबअगर ये तकनीक आगे बढ़ती है तो आज जो भारी भरकम सर्वर और GPU मशीनें लगाई जाती हैं, वे बहुत छोटे और सस्ते डिवाइस से काम करने लगेंगी। इससे बिजली और पानी की भी काफी बचत होगी। AI मॉडल्स को ट्रेन करने में जो महीनों लगते हैं, वो कुछ घंटों में पूरे हो सकते हैं। मोबाइल नेटवर्क्स में 6G जैसी स्पीड और रीयल टाइम डेटा ट्रांसफर आसान हो जाएगा। और बड़ी बात ये कि वैज्ञानिकों ने इसे कॉमर्शल मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस से बनाया है। यानी यह किसी लैब तक सीमित नहीं रहेगा, इसे बड़े पैमाने पर बनाया जा सकता है।
आगे क्या होगा?पेकिंग यूनिवर्सिटी की टीम अब इसका बड़ा और ज्यादा पावरफुल वर्जन बना रही है, ताकि यह और जटिल समस्याएं भी हल कर सके। अगर उनकी कोशिश सफल हुई, तो यह चिप आने वाले कुछ सालों में AI, 6G नेटवर्क और सुपरकंप्यूटिंग की दुनिया को पूरी तरह बदल सकती है। इस रिसर्च को पेकिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक सन झोंग (Sun Zhong) के नेतृत्व में की गई। उनकी टीम में स्कूल ऑफ इंटीग्रेटेड सर्किट्स और इंस्टिट्यूट फॉर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के रिसर्चर्स शामिल थे।
यह चिप रेजस्टिव रैंडम एक्सेस मेमोरी (RRAM) पर बनी है। RRAM की वजह से डेटा को स्टोर और प्रोसेस, दोनों करती है, जिससे एनर्जी की खपत 100 गुना तक घट जाती है और स्पीड बुलेट ट्रेन जैसी बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में इस तरह की सोचने वाली चिप से सुपरकंप्यूटर, रोबॉट और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया पूरी तरह बदल सकती है।
वैज्ञानिकों का दावा क्या है?पेइचिंग (Beijing) स्थित पेकिंग यूनिवर्सिटी (Peking University) की टीम का कहना है कि यह चिप पावर खपत और धीमे डेटा प्रोसेसिंग जैसी बड़ी मुश्किलों का हल है। टेक्नॉलजी के तेज विकास में यही दो चीजें रुकावट बन रही थीं। इस चिप ने उन्हीं टास्क्स को किया जो आमतौर पर Nvidia H100 जैसे महंगे डिजिटल GPU करते हैं, लेकिन इसमें न सिर्फ उतनी ही सटीकता मिली, बल्कि यह 1,000 गुना तेज भी चल सका।
इतिहास को दोहरा रही यह रिसर्चएनालॉग कंप्यूटिंग का आइडिया नया नहीं है। इतिहासकार दावा करते हैं कि 2,000 साल पहले ग्रीस में बना एंटीकाइथेरा मैकेनिज्म (Antikythera mechanism) भी एक तरह का एनालॉग कंप्यूटर ही था। एंटीकाइथेरा से ग्रहों की चाल की गणना की जाती थी।
एनालॉग सिस्टम में समस्या यह होती है कि ये बहुत नाजुक होते हैं और थोड़ी सी गलती पर रिजल्ट गड़बड़ हो सकता है। डिजिटल कंप्यूटर इसलिए लोकप्रिय हुए क्योंकि वे हर गणना को 0 और 1 के रूप में एकदम सटीक कर पाते हैं। चीन के इस नए शोध ने साबित कर दिया है कि अगर एनालॉग सिस्टम्स में आधुनिक मेमोरी टेक्नोलॉजी लगा दी जाए, तो वे भी डिजिटल कंप्यूटर जितने सटीक और उससे कहीं तेज हो सकते हैं।
आम लोगों के लिए इस रिसर्च का क्या मतलबअगर ये तकनीक आगे बढ़ती है तो आज जो भारी भरकम सर्वर और GPU मशीनें लगाई जाती हैं, वे बहुत छोटे और सस्ते डिवाइस से काम करने लगेंगी। इससे बिजली और पानी की भी काफी बचत होगी। AI मॉडल्स को ट्रेन करने में जो महीनों लगते हैं, वो कुछ घंटों में पूरे हो सकते हैं। मोबाइल नेटवर्क्स में 6G जैसी स्पीड और रीयल टाइम डेटा ट्रांसफर आसान हो जाएगा। और बड़ी बात ये कि वैज्ञानिकों ने इसे कॉमर्शल मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस से बनाया है। यानी यह किसी लैब तक सीमित नहीं रहेगा, इसे बड़े पैमाने पर बनाया जा सकता है।
आगे क्या होगा?पेकिंग यूनिवर्सिटी की टीम अब इसका बड़ा और ज्यादा पावरफुल वर्जन बना रही है, ताकि यह और जटिल समस्याएं भी हल कर सके। अगर उनकी कोशिश सफल हुई, तो यह चिप आने वाले कुछ सालों में AI, 6G नेटवर्क और सुपरकंप्यूटिंग की दुनिया को पूरी तरह बदल सकती है। इस रिसर्च को पेकिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक सन झोंग (Sun Zhong) के नेतृत्व में की गई। उनकी टीम में स्कूल ऑफ इंटीग्रेटेड सर्किट्स और इंस्टिट्यूट फॉर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के रिसर्चर्स शामिल थे।
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