नई दिल्ली: भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी इस समय चर्चा में बने हुए हैं। उन्होंने USAID में कटौती पर बात की है। बनर्जी ने इसमें कटौती को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सही ठहराया है। उन्होंने शनिवार को NDTV वर्ल्ड को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि यूरोप ने वैश्विक नेतृत्व छोड़ दिया है। अब यूरोप को आगे बढ़कर दुनिया का नेतृत्व करना चाहिए। इस दौरान उन्होंने 'द फाइनेंशियल टाइम्स' में छपे अपने एक आर्टिकल का भी जिक्र किया। इस लेख में उन्होंने और उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो (Esther Duflo) ने लिखा था कि दुनिया को सिर्फ अमेरिका से ही मदद की जरूरत नहीं है। साथ ही उन्होंने लेख में यह भी लिखा था कि बाकी दुनिया को आगे आना चाहिए। उन्हें दिखाना चाहिए कि वे मदद के लिए पैसे जुटा सकते हैं और उसे सही तरीके से खर्च भी कर सकते हैं। क्या कहा बनर्जी ने इंटरव्यू में?बनर्जी ने इंटरव्यू में कहा, 'यूरोप ने दुनिया का नेतृत्व करने के लिए ज्यादा पहल नहीं की है। मुझे लगता है कि यह दुनिया का नेतृत्व करने का एक मौका है। यूरोप की अर्थव्यवस्था अमेरिका से भी बड़ी है। इसलिए मदद के लिए पैसे जुटाना कोई बड़ी बात नहीं है।' उन्होंने कहा कि अगर यूरोप सच में नेतृत्व करना चाहता है, तो यह उसके लिए एक अच्छा मौका है। क्या है USAID?यह अमेरिका की एक एजेंसी है। यह भारत समेत दूसरे देशों को आर्थिक और मानवीय सहायता देती है। इस साल फरवरी में ट्रंप प्रशासन ने USAID के विदेशी सहायता अनुबंधों में भारी कटौती की घोषणा की थी। उन्होंने 90 फीसदी से ज्यादा अनुबंध रद्द कर दिए थे। यह लगभग 54 अरब डॉलर की कटौती थी। व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा था कि USAID में बहुत ज्यादा बर्बादी और भ्रष्टाचार है। अभिजीत बनर्जी का एक रिसर्च सेंटर है। यह गरीबी कम करने के लिए काम करता है। USAID की कटौती से उनके सेंटर पर भी असर पड़ा है। महाराष्ट्र में हुआ जन्मअभिजीत बनर्जी भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं। वह परिवार समेत अमेरिका में रहते हैं। इनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था। इनके पिता दीपक बनर्जी और मां निर्मला बनर्जी दोनों ही कोलकाता के जाने माने प्रोफेसर थे। अभिजीत ने 1981 में प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी (प्रेसीडेंसी कॉलेज) से इकोनॉमिक्स में बीएससी की। इसके बाद साल 1983 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एमए (इकोनॉमिक्स) की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 1988 में उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि ली। नोबेल पुरस्कार से सम्मानितसाल 2019 में अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 64 वर्षीय अभिजीत और एस्थर को वैश्विक स्तर पर गरीबी को कम करने को लेकर किए गए कार्यो के लिए ये सम्मान दिया गया था।अभी अभिजीत मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Massachusetts Institute of Technology) में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं। अभिजीत की पत्नी एस्थर डुफ्लो फ्रांसीसी-अमेरिकी हैं। डुफ्लो भी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में प्रोफेसर हैं। कई किताबें लिख चुके हैं अभिजीतअभिजीत बनर्जी आर्थिक मामलों पर ढेर सारे आर्टिकल लिख चुके हैं। वह 'पुअर इकोनॉमिक्स' समेत कई किताबें भी लिख चुके हैं। इस किताब को गोल्डमैन सैक्स बिजनेस बुक ऑफ द ईयर का खिताब मिला था। MIT पर दिए गए उनके परिचय में यह भी बताया गया है कि उन्होंने 2 डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का निर्देशन भी किया है। वह साल 2015 के बाद डेवलपमेंट अजेंडा पर बनी यूएन सेक्रेटरी जनरल के हाई-लेवल पैनल में भी रह चुके हैं।
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