नई दिल्ली: दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का मंगलवार को दूसरा चरण पूरा किया गया। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए यह कदम उठाया है। एक खास विमान ने कानपुर से उड़ान भरी और दिल्ली के कई इलाकों, जैसे कि बुराड़ी और करोल बाग के ऊपर जाकर यह प्रक्रिया पूरी की। देर शाम इस प्रयोग के परिणाम सामने आए, जिसमें पता चलता है कि क्लाउड सीडिंग के बाद दिल्ली में प्रदूषण में मामूली सुधार हुआ है।
राजधानी के 20 चयनित मॉनिटरिंग स्टेशनों से एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, एयर क्वालिटी इंडेक्स PM2.5 और PM10 जैसे प्रमुख प्रदूषण मानकों पर क्लाउड सीडिंग के बाद मामूली सुधार देखा गया है। क्लाउड सीडिंग से पहले मयूर विहार, करोल बाग और बुराड़ी में PM2.5 का स्तर 221, 230 और 229 µg/m³ दर्ज किया गया था। जो प्रक्रिया के बाद घटकर 207, 206 और 203 µg/m³ रह गया। इसी तरह, PM10 का स्तर इन क्षेत्रों में 207, 206 और 209 µg/m³ से घटकर 177, 163 और 177 µg/m³ हो गया।
क्लाउड सीडिंग के दौरान कम थी हवा की गति
क्लाउड सीडिंग के बाद प्रदूषण के स्तर में मामूली सुधार को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि उस दौरान हवा की गति बहुत कम थी, इसलिए यह सुधार मुख्य रूप से क्लाउड सीडिंग के दौरान उत्पन्न अतिरिक्त नमी और वायुमंडलीय कणों के नीचे बैठने की प्रक्रिया से हुआ माना जा रहा है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि नतीजे इस बात की ओर संकेत करते हैं कि क्लाउड सीडिंग दिल्ली जैसे प्रदूषण-ग्रस्त महानगरों में वायु गुणवत्ता सुधारने की एक प्रभावी तकनीक साबित हो सकती है।
क्या बोले IIT कानपुर के वैज्ञानिक?
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का मानना है कि इन सिलसिलेवार प्रयोगों से राजधानी की वायु गुणवत्ता (AQI) सुधारने में मदद मिलेगी और कृत्रिम वर्षा के जरिए प्रदूषण के स्तर को घटाया जा सकेगा। दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, इन ट्रायल्स की सफलता के आधार पर क्लाउड सीडिंग का प्रयोग सीएम रेखा गुप्ता के नेतृत्व में व्यापक रूप से दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए किया जाएगा।
राजधानी के 20 चयनित मॉनिटरिंग स्टेशनों से एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, एयर क्वालिटी इंडेक्स PM2.5 और PM10 जैसे प्रमुख प्रदूषण मानकों पर क्लाउड सीडिंग के बाद मामूली सुधार देखा गया है। क्लाउड सीडिंग से पहले मयूर विहार, करोल बाग और बुराड़ी में PM2.5 का स्तर 221, 230 और 229 µg/m³ दर्ज किया गया था। जो प्रक्रिया के बाद घटकर 207, 206 और 203 µg/m³ रह गया। इसी तरह, PM10 का स्तर इन क्षेत्रों में 207, 206 और 209 µg/m³ से घटकर 177, 163 और 177 µg/m³ हो गया।
क्लाउड सीडिंग के दौरान कम थी हवा की गति
क्लाउड सीडिंग के बाद प्रदूषण के स्तर में मामूली सुधार को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि उस दौरान हवा की गति बहुत कम थी, इसलिए यह सुधार मुख्य रूप से क्लाउड सीडिंग के दौरान उत्पन्न अतिरिक्त नमी और वायुमंडलीय कणों के नीचे बैठने की प्रक्रिया से हुआ माना जा रहा है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि नतीजे इस बात की ओर संकेत करते हैं कि क्लाउड सीडिंग दिल्ली जैसे प्रदूषण-ग्रस्त महानगरों में वायु गुणवत्ता सुधारने की एक प्रभावी तकनीक साबित हो सकती है।
क्या बोले IIT कानपुर के वैज्ञानिक?
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का मानना है कि इन सिलसिलेवार प्रयोगों से राजधानी की वायु गुणवत्ता (AQI) सुधारने में मदद मिलेगी और कृत्रिम वर्षा के जरिए प्रदूषण के स्तर को घटाया जा सकेगा। दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, इन ट्रायल्स की सफलता के आधार पर क्लाउड सीडिंग का प्रयोग सीएम रेखा गुप्ता के नेतृत्व में व्यापक रूप से दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए किया जाएगा।
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