नई दिल्ली: साल 2025 अपने ढलान पर है। पूरी दुनिया में वैश्विक निवेशक अपना पैसा कई देशों में लगा रहे हैं। अमेरिका की बढ़त बरकरार रहने से लेकर उभरते बाजारों की बढ़त तक विदेशी निवेश के मामले में कुछ देश ऐसे हैं, जो लगातार छप्पर फाड़ पैसे लगा रहे हैं। भारत भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त टैरिफ की चुनौतियों से जूझ रहा हो, मगर भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) दूसरे देशों के लिए फायदे का सौदा है। PIB के आंकड़ों के अनुसार, भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह वित्त वर्ष 2024-25 में 81.04 बिलियन डॉलर के अनंतिम आंकड़े पर पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 के 71.28 बिलियन डॉलर से 14% अधिक है। जानते हैं कि भारत में सबसे ज्यादा पैसे लगाने वाले वो देश कौन हैं? यह भी जानते हैं कि भारत में किन-किन देशों से खूब पैसे आते हैं, मतलब जमकर विदेशी निवेश हो रहा है। कम से कम इतना तो तय है कि अमेरिका, चीन, रूस जैसे देश भारत में निवेश करने के मामले में नंबर वन नहीं हैं। तो बड़ा सवाल ये है कि फिर कौन है?
भारत में सबसे ज्यादा निवेश करते हैं ये देश
INDIA BRIEFING पर छपी एक स्टोरी के अनुसार, टैरिफ से जुड़ी चुनौतियों के बावजूद अमेरिका शीर्ष निवेशकों में से एक के रूप में उभरा, जिसने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 5.61 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 1.50 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश से लगभग तीन गुना अधिक है। सिंगापुर 4.59 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ दूसरे और मॉरीशस 2.08 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ तीसरे स्थान पर है। वहीं, एकमुश्त निवेश की बात करें तो अप्रैल 2000 से एकमुश्त निवेश के मामले में अमेरिका 76.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ तीसरे स्थान पर है। जबकि मॉरीशस 182.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ नंबर वन और सिंगापुर 179.48 बिलियन अमेरिकी डॉलर के FDI के साथ नंबर दो पर रहा है।
बीते 7 साल से भारत में FDI का सोर्स सिंगापुर
india-briefing.com पर छपी स्टोरी के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का शीर्ष स्रोत सिंगापुर रहा, जो लगातार सातवें वर्ष सबसे बड़ा योगदानकर्ता रहा। अन्य प्रमुख स्रोतों में नीदरलैंड, मॉरीशस, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। ये शीर्ष निवेशक देश कुल एफडीआई प्रवाह का तीन-चौथाई से अधिक हिस्सा रखते हैं।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में सबसे ज्यादा विदेशी पैसा
क्षेत्रीय प्रदर्शन के संदर्भ में, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के दौरान FDI आकर्षित करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (5.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर), सेवाएं (3.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और ऑटोमोबाइल (1.29 बिलियन अमेरिकी डॉलर) शामिल थे।
FDI लेने में सबसे आगे महाराष्ट्र
PIB की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में कुल FDI में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा (39%) रही। उसके बाद कर्नाटक (13%) और दिल्ली (12%) का स्थान रहा। सोर्स देशों में सिंगापुर 30% हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे रहा। उसके बाद मॉरीशस (17%) और फिर अमेरिका (11%) का स्थान रहा। वहीं, वित्त वर्ष 25-26 की पहली तिमाही में कर्नाटक 5.69 अरब डॉलर के साथ सबसे आगे रहा। उसके बाद महाराष्ट्र (5.36 अरब डॉलर) और तमिलनाडु (2.67 अरब डॉलर) का स्थान रहा। अन्य प्रमुख प्राप्तकर्ता गुजरात (1.2 अरब डॉलर), हरियाणा (1.03 अरब डॉलर), दिल्ली (1 अरब डॉलर) और तेलंगाना (395 मिलियन डॉलर) थे।
अब इन क्षेत्रों में 100 फीसदी विदेशी निवेश
2014-2019 में रक्षा, बीमा और पेंशन में निवेश की सीमा बढ़ाई गई; निर्माण, विमानन और एकल-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में नियमों में ढील दी गई। वहीं, 2019-2024: कोयला खनन, अनुबंध निर्माण और बीमा मध्यस्थों में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई। 2025 के केंद्रीय बजट में उन बीमा कंपनियों के लिए एफडीआई सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव, जो अपना पूरा प्रीमियम घरेलू स्तर पर पुनर्निवेश करती हैं।
भारत में सबसे ज्यादा निवेश करते हैं ये देश
INDIA BRIEFING पर छपी एक स्टोरी के अनुसार, टैरिफ से जुड़ी चुनौतियों के बावजूद अमेरिका शीर्ष निवेशकों में से एक के रूप में उभरा, जिसने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 5.61 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 1.50 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश से लगभग तीन गुना अधिक है। सिंगापुर 4.59 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ दूसरे और मॉरीशस 2.08 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ तीसरे स्थान पर है। वहीं, एकमुश्त निवेश की बात करें तो अप्रैल 2000 से एकमुश्त निवेश के मामले में अमेरिका 76.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ तीसरे स्थान पर है। जबकि मॉरीशस 182.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ नंबर वन और सिंगापुर 179.48 बिलियन अमेरिकी डॉलर के FDI के साथ नंबर दो पर रहा है।
बीते 7 साल से भारत में FDI का सोर्स सिंगापुर
india-briefing.com पर छपी स्टोरी के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का शीर्ष स्रोत सिंगापुर रहा, जो लगातार सातवें वर्ष सबसे बड़ा योगदानकर्ता रहा। अन्य प्रमुख स्रोतों में नीदरलैंड, मॉरीशस, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। ये शीर्ष निवेशक देश कुल एफडीआई प्रवाह का तीन-चौथाई से अधिक हिस्सा रखते हैं।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में सबसे ज्यादा विदेशी पैसा
क्षेत्रीय प्रदर्शन के संदर्भ में, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के दौरान FDI आकर्षित करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (5.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर), सेवाएं (3.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और ऑटोमोबाइल (1.29 बिलियन अमेरिकी डॉलर) शामिल थे।
FDI लेने में सबसे आगे महाराष्ट्र
PIB की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में कुल FDI में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा (39%) रही। उसके बाद कर्नाटक (13%) और दिल्ली (12%) का स्थान रहा। सोर्स देशों में सिंगापुर 30% हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे रहा। उसके बाद मॉरीशस (17%) और फिर अमेरिका (11%) का स्थान रहा। वहीं, वित्त वर्ष 25-26 की पहली तिमाही में कर्नाटक 5.69 अरब डॉलर के साथ सबसे आगे रहा। उसके बाद महाराष्ट्र (5.36 अरब डॉलर) और तमिलनाडु (2.67 अरब डॉलर) का स्थान रहा। अन्य प्रमुख प्राप्तकर्ता गुजरात (1.2 अरब डॉलर), हरियाणा (1.03 अरब डॉलर), दिल्ली (1 अरब डॉलर) और तेलंगाना (395 मिलियन डॉलर) थे।
अब इन क्षेत्रों में 100 फीसदी विदेशी निवेश
2014-2019 में रक्षा, बीमा और पेंशन में निवेश की सीमा बढ़ाई गई; निर्माण, विमानन और एकल-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में नियमों में ढील दी गई। वहीं, 2019-2024: कोयला खनन, अनुबंध निर्माण और बीमा मध्यस्थों में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई। 2025 के केंद्रीय बजट में उन बीमा कंपनियों के लिए एफडीआई सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव, जो अपना पूरा प्रीमियम घरेलू स्तर पर पुनर्निवेश करती हैं।
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