नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने देश को कर्ज के जाल से बाहर निकालने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। उन्होंने दुनिया भर के देशों पर जमकर टैरिफ लगाया है। लेकिन इसका उल्टा असर होता दिख रहा है। इस साल अमेरिका में अब तक 446 बड़ी कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं। यह 2020 में कोरोना काल के आंकड़े से 12 फीसदी ज्यादा है। केवल जुलाई में ही 71 बड़ी कंपनियां दिवालिया हुईं जो जुलाई 2020 के बाद किसी एक महीने में दिवालिया होने वाली कंपनियों की सबसे बड़ी संख्या है।
ट्रंप ने विदेशी सामान पर अप्रैल में 10% टैरिफ लगाया था। संयोग की बात है कि इसी महीने से अमेरिका में दिवालिया होने वाली कंपनियों की संख्या में तेजी आई। साल 2025 की पहली छमाही में 371 बड़ी अमेरिकी कंपनियां दिवालिया हुईं। जून में 63 कंपनियों ने बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया। इस साल दिवालिया होने वाली कंपनियों में 1990 और 2000 के दशक के कई पॉपुलर ब्रांड्स शामिल हैं। इनमें Forever 21, Joann's, Rite Aid, Party City और Claire's शामिल हैं।
90 साल में सबसे ज्यादा टैरिफ
सबसे ज्यादा मार स्मॉलकैप कंपनियों पर पड़ी है। 2024 के अंत में नुकसान में चल रही रसेल 2000 कंपनियों की संख्या बढ़कर 43 फीसदी पहुंच गई जो 2020 के बाद सबसे ज्यादा है। 2008 के संकट के समय यह आंकड़ा 41 फीसदी था। इसके बाद ट्रंप का टैरिफ वॉर शुरू हुआ। कई बार के बदलाव के बावजूद अमेरिका में टैरिफ अब भी बहुत ज्यादा है। अमेरिका का इफेक्टिव टैरिफ 17.3 फीसदी है जो 1935 के बाद सबसे ज्यादा है।
इस साल इंडस्ट्रियल सेक्टर की 70 कंपनियां दिवालिया हुई हैं जबकि कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी सेक्टर की 61 कंपनियां पर ताला लग चुका है। हेल्थकेयर सेक्टर की 32, कंज्यूमर स्टैपल्स की 22, आईटी की 21, फाइनेंशियल की 13, रियल एस्टेट की 11, कम्युनिकेशन सर्विसेज के 11, मटीरियल्स की 7, यूटिलिटीज तथा एनर्जी सेक्टर की चार कंपनियां इस साल दिवालिया हुई हैं। इन सेक्टर्स की कंपनियों पर टैरिफ का सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है।
बेरोजगारी और महंगाई
टैरिफ से देश में महंगाई और बेरोजगारी बढ़ने का भी खतरा है। जुलाई में 11 फीसदी छोटी कंपनियों ने कहा कि उनकी बिक्री बहुत खराब रही है। यह अमेरिका में बेरोजगारी की अहम इंडिकेटर है। अमेरिका में छोटी कंपनियां 6.23 करोड़ लोगों यानी 45.9 फीसदी लोगों को रोजगार मिला है। अमेरिका में 20 से 24 साल के युवाओं की बेरोजगारी पिछले तीन महीने में औसतन 8.1 फीसदी रही जो चार साल में सबसे ज्यादा है। यह 2008 के स्तर पर है।
लागत कम करने के लिए कंपनियां एआई का सहारा ले रही हैं और एंट्री लेवल पर जॉब कटौती कर रही हैं। साथ ही महंगाई भी फिर सिर उठाने लगी है। पीपीआई महंगाई में 0.9 फीसदी तेजी आई है जो 2022 के बाद सबसे ज्यादा है। कोर सीपीआई मंहगाई भी 3 फीसदी के ऊपर चली गई है। इससे फेडरल रिजर्व के लिए ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल हो गया है। हालांकि ट्रंप लगातार इसकी मांग कर रहे हैं। माना जा रहा है कि सितंबर में ब्याज दरों में 25 बीपीएस की कटौती की जा सकती है।
ट्रंप ने विदेशी सामान पर अप्रैल में 10% टैरिफ लगाया था। संयोग की बात है कि इसी महीने से अमेरिका में दिवालिया होने वाली कंपनियों की संख्या में तेजी आई। साल 2025 की पहली छमाही में 371 बड़ी अमेरिकी कंपनियां दिवालिया हुईं। जून में 63 कंपनियों ने बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया। इस साल दिवालिया होने वाली कंपनियों में 1990 और 2000 के दशक के कई पॉपुलर ब्रांड्स शामिल हैं। इनमें Forever 21, Joann's, Rite Aid, Party City और Claire's शामिल हैं।
90 साल में सबसे ज्यादा टैरिफ
सबसे ज्यादा मार स्मॉलकैप कंपनियों पर पड़ी है। 2024 के अंत में नुकसान में चल रही रसेल 2000 कंपनियों की संख्या बढ़कर 43 फीसदी पहुंच गई जो 2020 के बाद सबसे ज्यादा है। 2008 के संकट के समय यह आंकड़ा 41 फीसदी था। इसके बाद ट्रंप का टैरिफ वॉर शुरू हुआ। कई बार के बदलाव के बावजूद अमेरिका में टैरिफ अब भी बहुत ज्यादा है। अमेरिका का इफेक्टिव टैरिफ 17.3 फीसदी है जो 1935 के बाद सबसे ज्यादा है।
इस साल इंडस्ट्रियल सेक्टर की 70 कंपनियां दिवालिया हुई हैं जबकि कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी सेक्टर की 61 कंपनियां पर ताला लग चुका है। हेल्थकेयर सेक्टर की 32, कंज्यूमर स्टैपल्स की 22, आईटी की 21, फाइनेंशियल की 13, रियल एस्टेट की 11, कम्युनिकेशन सर्विसेज के 11, मटीरियल्स की 7, यूटिलिटीज तथा एनर्जी सेक्टर की चार कंपनियां इस साल दिवालिया हुई हैं। इन सेक्टर्स की कंपनियों पर टैरिफ का सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है।
बेरोजगारी और महंगाई
टैरिफ से देश में महंगाई और बेरोजगारी बढ़ने का भी खतरा है। जुलाई में 11 फीसदी छोटी कंपनियों ने कहा कि उनकी बिक्री बहुत खराब रही है। यह अमेरिका में बेरोजगारी की अहम इंडिकेटर है। अमेरिका में छोटी कंपनियां 6.23 करोड़ लोगों यानी 45.9 फीसदी लोगों को रोजगार मिला है। अमेरिका में 20 से 24 साल के युवाओं की बेरोजगारी पिछले तीन महीने में औसतन 8.1 फीसदी रही जो चार साल में सबसे ज्यादा है। यह 2008 के स्तर पर है।
लागत कम करने के लिए कंपनियां एआई का सहारा ले रही हैं और एंट्री लेवल पर जॉब कटौती कर रही हैं। साथ ही महंगाई भी फिर सिर उठाने लगी है। पीपीआई महंगाई में 0.9 फीसदी तेजी आई है जो 2022 के बाद सबसे ज्यादा है। कोर सीपीआई मंहगाई भी 3 फीसदी के ऊपर चली गई है। इससे फेडरल रिजर्व के लिए ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल हो गया है। हालांकि ट्रंप लगातार इसकी मांग कर रहे हैं। माना जा रहा है कि सितंबर में ब्याज दरों में 25 बीपीएस की कटौती की जा सकती है।
You may also like
प्रयागराज में मां-बेटी की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत
नगरोटा में पकड़े गए चरस मामले में एक और आरोपी जोगिन्द्रनगर से गिरफ्तार
पलवल: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने देखी भारत की ताकत : गौरव गौतम
गुरुग्राम में एसटीएफ व बदमाशों के बीच मुठभेड़ में गोदारा गैंग के दो शूटर पकड़े
सिरसा: विधायक का कुम्हार समाज के प्रति टिप्पणी करना गलत: कुंभाराम प्रजापति