वॉशिंगटन/नई दिल्ली/ बीजिंग: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि उनका देश 33 साल बाद एक फिर से तत्काल परमाणु बम का परीक्षण शुरू करेगा। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका इसलिए परमाणु परीक्षण शुरू करेगा ताकि वह रूस और चीन की तेजी का मुकाबला कर सके। चीन के राष्टपति के साथ मुलाकात के बाद ट्रंप ने यह भी कहा कि वह समुचित समय पर इसका टेस्ट शुरू करेंगे। ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु बम है, रूस दूसरे और चीन 'दूर से' तीसरे नंबर पर है। ट्रंप ने यह ऐलान ऐसे समय पर किया है जब रूस ने एक परमाणु ऊर्जा से चलने वाली असीमित रेंज की मिसाइल और एक परमाणु अंडर वाटर ड्रोन पोसाइडन का सफल परीक्षण किया है। वहीं चीन भी अपने परमाणु बमों की संख्या को 1000 तक पहुंचाने में लगा हुआ है और उसने एक गैर परमाणु हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया है। एक्सपर्ट का मानना है कि भारत को भी इस मौके का इस्तेमाल करके हाइड्रोजन बम का टेस्ट करना चाहिए ताकि वह चीन के खिलाफ एक प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता को हासिल कर सके।
अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में नेवाडा प्रांत में भूमिगत परमाणु परीक्षण किया था। यह अमेरिका का 1,054वां परमाणु परीक्षण था। ट्रंप ने बुधवार को एक बयान में माना कि परमाणु बम के अंदर महाविनाशक ताकत होती है लेकिन उनके पास अपने पहले कार्यकाल में अमेरिकी परमाणु जखीरे को अपडेट करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। ट्रंप ने कहा कि चीन का परमाणु प्रोग्राम अगले 5 साल के अंदर अमेरिका के बराबर पहुंच जाएगा। अमेरिका की लंबे समय से नीति रही है कि वह परमाणु हथियारों को कम करेगा लेकिन अब ट्रंप ने इसे पलट दिया है। चीन ने आखिरी बार परमाणु बम का परीक्षण साल 1996 में और रूस ने वर्ष 1990 में किया था।
'भारत को करना ही होगा हाइड्रोजन बम का टेस्ट'
अमेरिका ने 1990 के दशक में सीटीबीटी पर जोर दिया था ताकि भारत और पाकिस्तान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोका जा सके लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भारत और पाकिस्तान ने 1998 में परमाणु परीक्षण कर दिया। अमेरिका ने कई प्रतिबंध लगाए लेकिन बाद में इसे हल्का कर दिया। एक्सपर्ट का कहना है कि अब जब ट्रंप खुद ही दुनिया में तनावपूर्ण माहौल और चीन के परमाणु हथियारों का हवाला दे रहे हैं, ऐसे में भारत भी 'बदले सुरक्षा माहौल' का हवाला देकर परमाणु परीक्षण कर सकता है। अमेरिकी एक्सपर्ट एश्ले टेलिस ने 3 साल पहले भारत को सलाह दी थी कि उसे चीन के खिलाफ प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने के लिए हाइड्रोजन बम का परीक्षण करना ही होगा।
एश्ले जे टेलिस ने साल 2022 में भविष्यवाणी की थी कि आने वाले समय में एशिया की परमाणु हथियारों पर निर्भरता बढ़ने जा रही है। टेलिस ने कहा था कि साल 1998 में भारत ने हाइड्रोजन बम के टेस्ट की कोशिश की थी लेकिन यह सफल नहीं रहा था। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर चीन से भारत की ज्यादा दुश्मनी बढ़ती है तो दिल्ली को एक दिन बाध्य होकर हाइड्रोजन बम का परीक्षण करना ही होगा। बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर में चीन ने खुलकर पाकिस्तान की मदद की। चीन लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक जंगी तैयारी कर रहा है। चीन जिन हाइड्रोजन बम को बना रहा है, वह अमेरिका के अलावा भारत के खिलाफ भी इस्तेमाल कर सकता है। ऐसे में विश्लेषक कह रहे हैं कि भारत को भी हाइड्रोजन बम बनाने की ओर आगे बढ़ना चाहिए।
भारत और पाकिस्तान में बढ़ेगी होड़
अमेरिकी विश्लेषक टेलिस ने यह भी कहा था कि भारत अगर चीन से निपटने के लिए हाइड्रोजन बम का परीक्षण करता है तो अमेरिका को दिल्ली को दंडित करने की बजाय सपोर्ट करना चाहिए। इससे भारत एक कारगर परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बना सकेगा। विश्लेषकों का कहना है कि भारत अगर हाइड्रोजन बम का टेस्ट करता है तो इससे पाकिस्तान बुरी तरह से भड़क सकता है। पाकिस्तान भी इसकी राह पर बढ़ सकता है। भारत जब अमेरिका के साथ परमाणु डील कर रहा था तब भी कई वैज्ञानिक ऐसे थे जो चाहते थे कि भारत परमाणु परीक्षण का विकल्प खुला रखे। उनका मन था कि भारत हाइड्रोजन बम का टेस्ट करे जो 1998 के पोखरण परीक्षण में बहुत सफल नहीं रहा था।
हाइड्रोजन बम कितने ताकतवर
हालांकि तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के वैज्ञानिक सलाहकार आर चिदंबरम ने कहा था कि हमें अब और परमाणु परीक्षण की जरूरत नहीं हैं। इस बीच अमेरिका के ताजा परमाणु परीक्षण के ऐलान से भारत में फिर से बहस छिड़ सकती है। इससे आगे चलकर भारत के हाइड्रोजन बम के परीक्षण की शुरुआत हो सकती है। वहीं पाकिस्तान भी परमाणु परीक्षण कर सकता है। थर्मो न्यूक्लियर बम या हाइड्रोजन बम एक ही चीज होते हैं। इसे धरती पर परमाणु प्रलय लाने वाला हथियार माना जाता है। यह हाइड्रोजन आइसोटोप के फ्यूजन पर काम करता है। इसके फटने से बहुत ज्यादा गर्मी पैदा होती है। हाइड्रोजन बम सैकड़ों किलोटन की क्षमता की तबाही लाते हैं। इसके जरिए चीन के किसी बड़े शहर जैसे शंघाई या बीजिंग को तबाह किया जा सकता है। यह परमाणु बम से संभव नहीं है।
दुनिया के किस देश के पास कितने परमाणु बम
दुनिया में कुल 9 देशों के पास परमाणु बम है। इनमें अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन, पाकिस्तान, भारत, इजरायल और उत्तर कोरिया शामिल हैं। इस समय दुनिया में कुल परमाणु बमों की संख्या 13 हजार के आसपास है। शीतयुद्ध के दौरान दुनियाभर में परमाणु बमों की संख्या 60 हजार तक पहुंच गई थी। अमेरिका, रूस और चीन के ताजा कदम से एक बार फिर से दुनिया में परमाणु रेस शुरू हो सकता है। सिप्री के अनुमान के मुताबिक अमेरिका ने सबसे ज्यादा 1770 और रूस ने 1718 परमाणु हथियार तैनात कर रखे हैं। वहीं ब्रिटेन ने 120, फ्रांस ने 280, चीन ने 24 एटम बम को इस्तेमाल के लिए तैनात रखा है। भारत के पास 180, पाकिस्तान के पास 170, उत्तर कोरिया के पास 50, इजरायल के पास 90 परमाणु बम हैं। अमेरिका और रूस के पास दुनिया के 90 फीसदी परमाणु हथियार हैं।
अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में नेवाडा प्रांत में भूमिगत परमाणु परीक्षण किया था। यह अमेरिका का 1,054वां परमाणु परीक्षण था। ट्रंप ने बुधवार को एक बयान में माना कि परमाणु बम के अंदर महाविनाशक ताकत होती है लेकिन उनके पास अपने पहले कार्यकाल में अमेरिकी परमाणु जखीरे को अपडेट करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। ट्रंप ने कहा कि चीन का परमाणु प्रोग्राम अगले 5 साल के अंदर अमेरिका के बराबर पहुंच जाएगा। अमेरिका की लंबे समय से नीति रही है कि वह परमाणु हथियारों को कम करेगा लेकिन अब ट्रंप ने इसे पलट दिया है। चीन ने आखिरी बार परमाणु बम का परीक्षण साल 1996 में और रूस ने वर्ष 1990 में किया था।
'भारत को करना ही होगा हाइड्रोजन बम का टेस्ट'
अमेरिका ने 1990 के दशक में सीटीबीटी पर जोर दिया था ताकि भारत और पाकिस्तान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोका जा सके लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भारत और पाकिस्तान ने 1998 में परमाणु परीक्षण कर दिया। अमेरिका ने कई प्रतिबंध लगाए लेकिन बाद में इसे हल्का कर दिया। एक्सपर्ट का कहना है कि अब जब ट्रंप खुद ही दुनिया में तनावपूर्ण माहौल और चीन के परमाणु हथियारों का हवाला दे रहे हैं, ऐसे में भारत भी 'बदले सुरक्षा माहौल' का हवाला देकर परमाणु परीक्षण कर सकता है। अमेरिकी एक्सपर्ट एश्ले टेलिस ने 3 साल पहले भारत को सलाह दी थी कि उसे चीन के खिलाफ प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने के लिए हाइड्रोजन बम का परीक्षण करना ही होगा।
एश्ले जे टेलिस ने साल 2022 में भविष्यवाणी की थी कि आने वाले समय में एशिया की परमाणु हथियारों पर निर्भरता बढ़ने जा रही है। टेलिस ने कहा था कि साल 1998 में भारत ने हाइड्रोजन बम के टेस्ट की कोशिश की थी लेकिन यह सफल नहीं रहा था। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर चीन से भारत की ज्यादा दुश्मनी बढ़ती है तो दिल्ली को एक दिन बाध्य होकर हाइड्रोजन बम का परीक्षण करना ही होगा। बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर में चीन ने खुलकर पाकिस्तान की मदद की। चीन लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक जंगी तैयारी कर रहा है। चीन जिन हाइड्रोजन बम को बना रहा है, वह अमेरिका के अलावा भारत के खिलाफ भी इस्तेमाल कर सकता है। ऐसे में विश्लेषक कह रहे हैं कि भारत को भी हाइड्रोजन बम बनाने की ओर आगे बढ़ना चाहिए।
भारत और पाकिस्तान में बढ़ेगी होड़
अमेरिकी विश्लेषक टेलिस ने यह भी कहा था कि भारत अगर चीन से निपटने के लिए हाइड्रोजन बम का परीक्षण करता है तो अमेरिका को दिल्ली को दंडित करने की बजाय सपोर्ट करना चाहिए। इससे भारत एक कारगर परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बना सकेगा। विश्लेषकों का कहना है कि भारत अगर हाइड्रोजन बम का टेस्ट करता है तो इससे पाकिस्तान बुरी तरह से भड़क सकता है। पाकिस्तान भी इसकी राह पर बढ़ सकता है। भारत जब अमेरिका के साथ परमाणु डील कर रहा था तब भी कई वैज्ञानिक ऐसे थे जो चाहते थे कि भारत परमाणु परीक्षण का विकल्प खुला रखे। उनका मन था कि भारत हाइड्रोजन बम का टेस्ट करे जो 1998 के पोखरण परीक्षण में बहुत सफल नहीं रहा था।
हाइड्रोजन बम कितने ताकतवर
हालांकि तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के वैज्ञानिक सलाहकार आर चिदंबरम ने कहा था कि हमें अब और परमाणु परीक्षण की जरूरत नहीं हैं। इस बीच अमेरिका के ताजा परमाणु परीक्षण के ऐलान से भारत में फिर से बहस छिड़ सकती है। इससे आगे चलकर भारत के हाइड्रोजन बम के परीक्षण की शुरुआत हो सकती है। वहीं पाकिस्तान भी परमाणु परीक्षण कर सकता है। थर्मो न्यूक्लियर बम या हाइड्रोजन बम एक ही चीज होते हैं। इसे धरती पर परमाणु प्रलय लाने वाला हथियार माना जाता है। यह हाइड्रोजन आइसोटोप के फ्यूजन पर काम करता है। इसके फटने से बहुत ज्यादा गर्मी पैदा होती है। हाइड्रोजन बम सैकड़ों किलोटन की क्षमता की तबाही लाते हैं। इसके जरिए चीन के किसी बड़े शहर जैसे शंघाई या बीजिंग को तबाह किया जा सकता है। यह परमाणु बम से संभव नहीं है।
दुनिया के किस देश के पास कितने परमाणु बम
दुनिया में कुल 9 देशों के पास परमाणु बम है। इनमें अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन, पाकिस्तान, भारत, इजरायल और उत्तर कोरिया शामिल हैं। इस समय दुनिया में कुल परमाणु बमों की संख्या 13 हजार के आसपास है। शीतयुद्ध के दौरान दुनियाभर में परमाणु बमों की संख्या 60 हजार तक पहुंच गई थी। अमेरिका, रूस और चीन के ताजा कदम से एक बार फिर से दुनिया में परमाणु रेस शुरू हो सकता है। सिप्री के अनुमान के मुताबिक अमेरिका ने सबसे ज्यादा 1770 और रूस ने 1718 परमाणु हथियार तैनात कर रखे हैं। वहीं ब्रिटेन ने 120, फ्रांस ने 280, चीन ने 24 एटम बम को इस्तेमाल के लिए तैनात रखा है। भारत के पास 180, पाकिस्तान के पास 170, उत्तर कोरिया के पास 50, इजरायल के पास 90 परमाणु बम हैं। अमेरिका और रूस के पास दुनिया के 90 फीसदी परमाणु हथियार हैं।
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