इस्लामाबाद: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार 27वां संशोधन पेश करने जा रही है। शहबाज सरकार के इस कदम के साथ देश नागरिक शासन की जगह सिविल-मिलिट्री रूल के लिए पूरी तरह से तैयार बताया जा रहा है। पाकिस्तान में हालांकि सेना ही असल में परदे के पीछे शासन करती रही है लेकिन अब इसे संवैधानिक मंजूरी मिलने जा रही है। बताया जा रहा है कि यह कदम पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर की रिटायरमेंट को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, जिससे उन्हें असीमित ताकत मिल जाएगी और वह सिविल सरकार के साथ मिलकर पाकिस्तान पर राज करेंगे।
7 नवम्बर को संसद में पेश होगा प्रस्ताव
सीएनएन-न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, 27वें संविधान संशोधन के प्रस्ताव को 7 नवम्बर को पाकिस्तान की संसद में पेश किए जाने की तैयारी है। संशोधन का पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर के कार्यकाल के साथ ही न्यायिक स्वतंत्रता, पाकिस्तान में प्रांतों की शक्तियों पर महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि यह संशोधन फील्ड मार्शल असीम मुनीर की स्थिति और शक्ति को सुरक्षित रखने के लिए डिजाइन किया गया है।
बिलावल के ट्वीट से खुला राज
दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान की सरकार संविधान संशोधन की बात सिरे से नकारती रही थी और पाकिस्तानियों को खुद इसका पता पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी के ट्वीट से चला। बिलावल ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संविधान संशोधन पर समर्थन के लिए उनकी पार्टी से संपर्क किया है।
बिलावल ने प्रस्तावित संशोधनों में संवैधानिक न्यायालयों और जजों के ट्रांसफर से संबंधित प्रावधान का जिक्र किया है लेकिन सबसे खास अनुच्छेद 243 में बदलावों का जिक्र है, जिसने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। अनुच्छेद 243 पाकिस्तानी सशस्त्र बलों की कमान और नियंत्रण से संबंधित है। यह कहता है कि सशस्त्र बलों पर संघीय सरकार का नियंत्रण और कमांड होगी।
असीम मुनीर का बढ़ेगा दबदबा
हालांकि, शहबाज शरीफ सरकार इस कदम को लेकर पूरी तरह से चुप्पी बना रखी है लेकिन अनुच्छेद 243 में संशोधन के प्रस्ताव को असीम मुनीर की स्थिति और शक्ति को सुरक्षित करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि इससे नागरिक मामलों में सेना का दबदबा और बढ़ेगा।
इसी साल मई में भारत के साथ सैन्य संघर्ष के बाद शहबाज शरीफ सरकार ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को फील्ड मार्शल की उपाधि दे दी थी। इस उपाधि को लेने वाला वह अयूब खान के बाद दूसरे पाकिस्तानी जनरल थे। दिलचस्प बात है कि पाकिस्तान के संविधान और पाकिस्तानी सैन्य सिस्टम में फील्ड मार्शल पद के लिए कोई मानक व्यवस्था नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि शहबाज सरकार फील्ड मार्शल को संवैधानिक ढांचे में लाकर मुनीर को मनचाहा इनाम देने की तैयारी कर रही है।
7 नवम्बर को संसद में पेश होगा प्रस्ताव
सीएनएन-न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, 27वें संविधान संशोधन के प्रस्ताव को 7 नवम्बर को पाकिस्तान की संसद में पेश किए जाने की तैयारी है। संशोधन का पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर के कार्यकाल के साथ ही न्यायिक स्वतंत्रता, पाकिस्तान में प्रांतों की शक्तियों पर महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि यह संशोधन फील्ड मार्शल असीम मुनीर की स्थिति और शक्ति को सुरक्षित रखने के लिए डिजाइन किया गया है।
बिलावल के ट्वीट से खुला राज
दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान की सरकार संविधान संशोधन की बात सिरे से नकारती रही थी और पाकिस्तानियों को खुद इसका पता पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी के ट्वीट से चला। बिलावल ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संविधान संशोधन पर समर्थन के लिए उनकी पार्टी से संपर्क किया है।
बिलावल ने प्रस्तावित संशोधनों में संवैधानिक न्यायालयों और जजों के ट्रांसफर से संबंधित प्रावधान का जिक्र किया है लेकिन सबसे खास अनुच्छेद 243 में बदलावों का जिक्र है, जिसने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। अनुच्छेद 243 पाकिस्तानी सशस्त्र बलों की कमान और नियंत्रण से संबंधित है। यह कहता है कि सशस्त्र बलों पर संघीय सरकार का नियंत्रण और कमांड होगी।
असीम मुनीर का बढ़ेगा दबदबा
हालांकि, शहबाज शरीफ सरकार इस कदम को लेकर पूरी तरह से चुप्पी बना रखी है लेकिन अनुच्छेद 243 में संशोधन के प्रस्ताव को असीम मुनीर की स्थिति और शक्ति को सुरक्षित करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि इससे नागरिक मामलों में सेना का दबदबा और बढ़ेगा।
इसी साल मई में भारत के साथ सैन्य संघर्ष के बाद शहबाज शरीफ सरकार ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को फील्ड मार्शल की उपाधि दे दी थी। इस उपाधि को लेने वाला वह अयूब खान के बाद दूसरे पाकिस्तानी जनरल थे। दिलचस्प बात है कि पाकिस्तान के संविधान और पाकिस्तानी सैन्य सिस्टम में फील्ड मार्शल पद के लिए कोई मानक व्यवस्था नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि शहबाज सरकार फील्ड मार्शल को संवैधानिक ढांचे में लाकर मुनीर को मनचाहा इनाम देने की तैयारी कर रही है।
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