गरुड़ पुराण सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक प्रमुख ग्रंथ है। इसमें भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बीच हुए संवाद के माध्यम से जीवन, मृत्यु, धर्म, कर्म, नीति, यज्ञ और आत्मा से संबंधित गूढ़ रहस्य समझाए गए हैं। विशेष रूप से मृत्यु के पश्चात आत्मा की यात्रा, अंतिम संस्कार की प्रक्रिया और पिंडदान के महत्व का वर्णन इस पुराण का प्रमुख हिस्सा है।
मृत्यु के बाद आत्मा कहां रहती है?गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के पश्चात आत्मा 13 दिनों तक अपने परिजनों के आसपास ही रहती है। इस अवधि में आत्मा भूख-प्यास से पीड़ित रहती है और उसे किसी भी प्रकार की शांति नहीं मिलती। ऐसे में परिजनों द्वारा किया गया पिंडदान आत्मा के लिए अत्यंत आवश्यक होता है, क्योंकि इसी के माध्यम से उसका सूक्ष्म शरीर (प्रेत शरीर) बनता है।
पिंडदान से कैसे बनता है सूक्ष्म शरीर?गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा को एक प्रेत शरीर की आवश्यकता होती है ताकि वह अपने कर्मों के फल को भोग सके। यह शरीर अंगूठे के आकार का होता है और उसे पिंडदान से धीरे-धीरे आकार मिलता है:
-
पहले दिन: सिर का निर्माण
-
दूसरे दिन: गर्दन और कंधे
-
तीसरे दिन: हृदय
-
चौथे दिन: पीठ
-
पांचवे दिन: नाभि
-
छठे और सातवें दिन: कमर और निचला भाग
-
आठवें दिन: पैर
-
नौवें और दसवें दिन: भूख और प्यास की उत्पत्ति
-
ग्यारहवां और बारहवां दिन: आत्मा को भोजन मिलता है
इस पूरी प्रक्रिया में पिंडदान आत्मा को शांति और दिशा प्रदान करता है।
तेरहवीं पर आत्मा को कैसे मिलती है मुक्ति?तेरहवें दिन जब मृतक के परिजन 13 ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं, तब आत्मा को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है। इसे ही ‘पिंडदानी संस्कार की पूर्णता’ कहा जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति के परिजन यह संस्कार नहीं करते हैं, तो मान्यता है कि यमदूत उसकी आत्मा को 13वें दिन बलपूर्वक यमलोक की ओर ले जाते हैं।
इसलिए गरुड़ पुराण में पिंडदान और तेरहवीं का विशेष महत्व बताया गया है, जो आत्मा की मुक्ति और शांति के लिए अत्यावश्यक है।
The post first appeared on .
You may also like
बच्ची के शरीर पर उभर रहे हैं 'राम-राम' और 'राधे-राधे' शब्द, डॉक्टर भी हैरान' ∘∘
वह 6 चीजें जिन्हें सपने में देख लिया तो भिखारी भी बन जाता है राजा, रातोंरात पलटती है किस्मत' ∘∘
IPL 2025: शुभमन गिल पर स्लो ओवर रेट के लिए लगा 12 लाख का जुर्माना
फातिमा सना को 2025 महिला वनडे विश्व कप क्वालीफायर की टीम ऑफ द टूर्नामेंट का कप्तान बनाया गया
वैज्ञानिकों ने मानवीय संवाद की मस्तिष्क क्रियाविधि को समझने के लिए ली एआई की मदद