News India Live, Digital Desk: Hindu Festival Rituals : राधा अष्टमी का दिन हर कृष्ण भक्त और ख़ासकर राधा रानी को पूजने वालों के लिए बहुत बड़ा होता है। इस दिन लोग पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत रखते हैं ताकि उन्हें श्री कृष्ण और राधा जी की कृपा मिल सके। दिन भर भजन-कीर्तन और पूजा-पाठ चलता है। लेकिन जितना ज़रूरी व्रत रखना है, उतना ही ज़रूरी उसे सही समय और सही तरीके से खोलना भी है।कई बार लोग व्रत तो रख लेते हैं, लेकिन उन्हें यह पता नहीं होता कि व्रत का पारण यानी उसे खोलना कब और कैसे है। अगर व्रत को सही विधि से न खोला जाए, तो कहते हैं कि उसका पूरा फल नहीं मिलता। तो चलिए जानते हैं कि इस व्रत को खोलने का सही नियम क्या है।कब और कैसे खोलें राधा अष्टमी का व्रत?शास्त्रों के अनुसार, राधा अष्टमी का व्रत अगले दिन यानी नवमी तिथि को सूर्योदय के बाद खोला जाता है। कुछ लोग अष्टमी की पूजा के बाद शाम को भी व्रत खोल लेते हैं, लेकिन ज़्यादातर विद्वान नवमी के दिन ही पारण करने की सलाह देते हैं।व्रत खोलने की सरल विधि:व्रत खोलने की सरल विधि:अगले दिन सुबह स्नान करें: नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ़ कपड़े पहनें।पूजा-पाठ करें: इसके बाद राधा-कृष्ण की पूजा करें। उन्हें फूल, फल और भोग अर्पित करें।ब्राह्मण को भोजन कराएं: अगर संभव हो तो किसी ब्राह्मण या किसी ज़रूरतमंद को भोजन कराएं और उन्हें अपनी श्रद्धा के अनुसार दान-दक्षिणा दें।व्रत का पारण करें: यह सब करने के बाद आप खुद भोजन ग्रहण करके अपना व्रत खोल सकते हैं। ध्यान रखें कि पारण का भोजन सात्विक होना चाहिए, जिसमें लहसुन-प्याज का इस्तेमाल न हो।माना जाता है कि इस विधि से व्रत का पारण करने से ही पूजा पूरी होती है और राधा रानी का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
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