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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र: देवी दुर्गा की कृपा पाने का अद्भुत उपाय

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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का महत्व


ज्योतिष: यह स्तोत्र श्रीरुद्रयामल के गौरी तंत्र में शिव और पार्वती के संवाद के रूप में वर्णित है। दुर्गा सप्तशती का पाठ कठिन होता है, जबकि कुंजिका स्तोत्र का पाठ सरल और प्रभावी है। केवल कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से सप्तशती के पूरे पाठ का फल प्राप्त होता है। इसे 'श्री सिद्धकुंजिका स्तोत्रम' के नाम से भी जाना जाता है। यह भाग्य को चमकाने, धन प्राप्ति, मान-सम्मान, साहस और कष्टों से मुक्ति के लिए अत्यंत लाभकारी है।


कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति 108 दिन तक लगातार इस मंत्र का जाप करता है, तो वह सिद्ध हो जाता है और उसे सभी सुख और साधन प्राप्त होते हैं। यह मंत्र अन्य मंत्रों के साथ जाप करने पर भी लाभकारी होता है।


इस अद्भुत स्तोत्र का प्रभाव चमत्कारी है और इसके नियमित पाठ से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।


सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को वाणी और मन की शक्ति मिलती है। यह व्यक्ति के अंदर असीम ऊर्जा का संचार करता है और खराब ग्रहों के प्रभाव से मुक्ति दिलाता है। इसके पाठ से जीवन में धन और समृद्धि आती है।


यह स्तोत्र इतना शक्तिशाली है कि इसके पाठ के बाद किसी अन्य पूजा या जप की आवश्यकता नहीं होती। यदि आपके शत्रु बढ़ गए हैं या कोई आपको परेशान कर रहा है, तो इस स्तोत्र का पाठ करने से आपको मुक्ति मिलती है।


इस स्तोत्र में कई बीज मंत्र शामिल हैं, जो अत्यंत शक्तिशाली होते हैं। यह स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और अच्छे संबंधों के लिए भी लाभकारी है।


सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कैसे करें?

इसका पाठ शाम या रात के समय करना उत्तम माना जाता है। देवी के समक्ष दीपक जलाएं और लाल आसन पर बैठें। लाल वस्त्र पहनना और देवी को प्रणाम करके संकल्प लेना आवश्यक है।


विशेष रूप से नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि के दौरान इस स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए। यह पाठ संधिकाल में करना सबसे प्रभावी होता है।


यदि आप किसी विशेष कार्य के लिए इसका पाठ कर रहे हैं, तो शुक्रवार से प्रारंभ करें और संकल्प लेकर पाठ करें। पाठ के बाद माता को भोग लगाकर कन्याओं को भोजन कराना चाहिए।


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