दक्षिण में बने मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों के मंदिर भी अपनी भव्यता और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं। फिर चाहे वो तमिलनाडु का मीनाक्षी मंदिर हो या फिर सोने की तरह चमकता महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर। कर्नाटक के मैसूर में एक पहाड़ी पर बना चामुंडेश्वरी मंदिर महिषासुर के वध के प्रतीक के तौर पर जाना जाता है। जानिए दक्षिण में बने उन मां मंदिरों के बारे में जो अपनी अलग-अलग खासियतों के कारण मशहूर हुए...
ये है तमिलनाडु के मदुरै में बना मीनाक्षी मंदिर, जो देवी पार्वती को समर्पित है। यहां देवी पार्वती मीनाक्षी के रूप में विराजमान हैं। उनके साथ भगवान शिव भी हैं, जिन्हें सुंदरेश्वर के नाम से जाना जाता है। इसे भारत का प्राचीन और भव्य मंदिर माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का मुख्य गर्भगृह 3500 साल से भी ज्यादा पुराना है। भगवान शिव यानी सुंदरेश्वर राजा मलयध्वज की बेटी राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह करने के लिए मदुरै आए थे। इस मंदिर की वास्तुकला काफी दिलचस्प है।
यह तमिलनाडु के वेल्लोर में बना श्रीपुरम मंदिर है, जो देवी लक्ष्मी को समर्पित है। सोने की तरह चमकने वाले इस मंदिर को महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि दुनिया के सभी मंदिरों में से सबसे ज्यादा सोना इसी मंदिर में इस्तेमाल किया गया है। मंदिर के अंदरूनी हिस्से से लेकर बाहरी दीवारों और ऊपर तक सोने का इस्तेमाल किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे बनाने में 15 हजार किलोग्राम सोने का इस्तेमाल हुआ था। 100 एकड़ में फैला यह मंदिर हरियाली के बीच बना है जो इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता है। हर साल यहां 1 लाख से ज्यादा लोग दर्शन के लिए आते हैं।
कर्नाटक का सबसे मशहूर चामुंडेश्वरी मंदिर दक्षिण में है। मैसूर की चामुंडी पहाड़ी पर बना यह मंदिर महिषासुर के वध का प्रतीक माना जाता है। दर्शन के लिए इस पहाड़ी पर जाने पर सबसे पहले महिषासुर की ऊंची मूर्ति मिलती है, फिर मंदिर। इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में हुआ था। यहां दशहरा उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में बना कनक दुर्गा मंदिर है, जो मां दुर्गा को समर्पित है। यह मंदिर कृष्णा नदी के तट पर स्थित इंद्रकीलाद्री पर्वत की पहाड़ियों पर बना है। यहां विराजमान देवी कनक दुर्गा को धन और शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है। इसके अलावा उन्हें विजयवाड़ा की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। इस मंदिर को श्री दुर्गा मल्लेश्वर स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
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