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इस मंदिर में भक्त लिखते हैं भगवान को मन्नत पूरी करने के लिए अजीबोगरीब चिट्ठी, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

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भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपनी अनोखी परंपराओं और रीति-रिवाजों के लिए मशहूर हैं। उनमें से एक मंदिर ऐसा भी है जहां भक्त भगवान को अपनी मनोकामनाएं पूरी होने के लिए चिट्ठियां लिखते हैं — और ये चिट्ठियां आम चिट्ठियों से बिल्कुल अलग होती हैं। इस मंदिर की यह खास परंपरा हर साल हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है, और इसकी वजह जानकर हर कोई हैरान रह जाता है।

भक्तों की अनोखी मन्नत लिखने की परंपरा

इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है भगवान को लिखी जाने वाली ‘मन्नत की चिट्ठियां’। यहां आने वाले भक्त अपनी मुराद पूरी होने की कामना के साथ छोटी-छोटी चिट्ठियां लिखते हैं, जिनमें वे अपनी उम्मीदें, इच्छा, और भगवान से मन्नत पूरी करने की गुहार लगाते हैं। यह परंपरा बहुत पुरानी है और कई पीढ़ियों से चली आ रही है।

चिट्ठियों में केवल पारंपरिक प्रार्थना या भक्ति के शब्द ही नहीं होते, बल्कि कई बार भक्तों द्वारा बेहद दिलचस्प, मजेदार और कभी-कभी अजीबोगरीब बातें भी लिखी जाती हैं। इनमें कभी-कभी छोटे-छोटे वादे होते हैं जैसे “अगर मेरी मन्नत पूरी हुई तो मैं भगवान के नाम पर गरीबों को खाना खिलाऊंगा” या “मैं हर गुरुवार मंदिर आकर पूजा करूंगा”।

चिट्ठियां कैसे रखी जाती हैं?

मंदिर के प्रांगण में एक खास डिब्बा रखा गया है, जिसे ‘मन्नत पेटी’ कहा जाता है। भक्त अपनी चिट्ठियां उस डिब्बे में डालते हैं। मंदिर के पुजारी और कर्मचारी इन चिट्ठियों को खास विधि से भगवान की सेवा में प्रस्तुत करते हैं। कहते हैं कि ये चिट्ठियां भगवान तक सीधे पहुंचती हैं, और उनकी कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

वजह जो बनाती है यह परंपरा खास

मंदिर के स्थानीय लोगों का मानना है कि भगवान इस मंदिर में विशेष रूप से भक्तों की मन्नत सुनते हैं। इस विश्वास के पीछे एक पुरानी कथा है जिसमें कहा जाता है कि यहां की भगवान की मूर्ति ने एक बार एक विधवा की मन्नत पूरी की थी, जिसके बाद से यह परंपरा शुरू हुई।

भक्तों का कहना है कि वे जब अपनी समस्याएं, दुख-दर्द या इच्छाएं लिखकर भगवान के सामने रखते हैं, तो उनका मन हल्का हो जाता है और उन्हें विश्वास होता है कि उनकी मन्नत जरूर पूरी होगी। इस कारण यह परंपरा और भी मजबूत होती जा रही है।

चिट्ठियों में आती हैं अनोखी कहानियां

मंदिर में मिली चिट्ठियों को पढ़ने वाले पुजारी बताते हैं कि कई बार चिट्ठियों में अजीब और मजेदार बातें होती हैं। जैसे कोई अपनी नौकरी के लिए प्रार्थना करते हुए लिखता है, “भगवान जी, इस बार इंटरव्यू में मेरी इतनी अच्छी तारीफ हो कि मुझे नौकरी मिल जाए।” तो कोई कहता है, “भगवान, मेरी पत्नी मुझसे ज्यादा प्यार करे।”

ऐसी चिट्ठियां सुनने वालों के चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं और यह दिखाती हैं कि किस तरह लोगों की श्रद्धा में हास्य और सरलता दोनों का मेल होता है।

श्रद्धालुओं की भीड़ और मंदिर की महत्ता

इस अनोखी परंपरा के कारण यह मंदिर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खास बन गया है। लोग यहां न केवल भगवान की पूजा करने आते हैं, बल्कि अपनी मन्नत की चिट्ठी लिखकर भगवान से जुड़ाव महसूस करते हैं। मंदिर में होने वाले त्योहारों और खास अवसरों पर यह मन्नत पेटी विशेष रूप से सजाई जाती है और लाखों भक्त यहां अपनी आस्था व्यक्त करते हैं।

निष्कर्ष

यह मंदिर और इसकी मन्नत लिखने की अनोखी परंपरा इस बात का जीता-जागता प्रमाण है कि भारत में भक्ति की परंपराएं कितनी विविध और रंगीन हैं। जहां एक ओर लोग भगवान से अपनी मुरादें मांगते हैं, वहीं दूसरी ओर वे अपनी चिट्ठियों के माध्यम से अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करते हैं। इस मंदिर की यह खासियत हर भक्त के मन में एक नई उम्मीद जगाती है और भगवान के प्रति उनकी श्रद्धा को और गहरा करती है। यदि आप भी अपनी मन्नत भगवान से पूरी करवाना चाहते हैं और उनकी मौजूदगी का अनोखा अनुभव लेना चाहते हैं, तो इस मंदिर की यात्रा जरूर करें और अपनी मनोकामना की चिट्ठी लिखें। आपकी मन्नत जरूर पूरी होगी!

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