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वीडियो में जानिए खाटू श्याम जी के शीश का रंग बदलने का रहस्य? आखिर क्यों अमावस्या की रात के बाद 19 घंटे के लिए बंद रहता है मंदिर

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राजस्थान में स्थित प्रसिद्ध बाबा श्याम का फाल्गुन लक्खी मेला 28 फरवरी 2025 से शुरू होने जा रहा है। हर साल आयोजित होने वाले इस मेले में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। आपको बता दें कि बाबा खाटूश्याम एक महीने में दो रूपों में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। बाबा का कभी काले तो कभी पीले रंग का श्रृंगार किया जाता है।


बाबा श्याम कृष्ण पक्ष में पीले श्याम वर्ण में अपने भक्तों के सामने आते हैं, जबकि शुक्ल पक्ष में वे काले रंग के पूर्ण शालिग्राम रूप में दर्शन देते हैं। 23 दिनों तक बाबा का पीले रंग से श्रृंगार किया जाता है और बाकी 7 दिनों तक बाबा पूर्ण शालिग्राम यानी काले रंग के दर्शन देते हैं।घाटूश्याम मंदिर समिति ने बताया कि कृष्ण और शुक्ल पक्ष में बाबा श्याम का अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है। कृष्ण पक्ष में बाबा को माथे से गालों तक तिलक के रूप में चंदन का लेप लगाया जाता है। इस दौरान देश के कोने-कोने से हजारों भक्त बाबा के इस रूप के दर्शन करने आते हैं।

अमावस्या के बाद 19 घंटे के लिए बंद रहता है धाम
खाटूश्याम जी धाम के पुजारी मोहनदास महाराज ने बताया कि हर महीने अमावस्या के बाद बाबा का दरबार करीब 19 घंटे के लिए भक्तों के लिए बंद रहता है। इस दौरान बाबा का विशेष तिलक श्रृंगार किया जाता है। साथ ही बाबा श्याम को विशेष वस्त्र, आभूषण और फूलों से सजाया जाता है।

कौन हैं बाबा श्याम?
बाबा खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण का अवतार माना जाता है। महाभारत युद्ध के दौरान भीम के पौत्र बर्बरीक कौरवों की ओर से लड़ रहे थे। बर्बरीक के पास तीन ऐसे बाण थे जिनसे वो पूरे युद्ध को कौरवों के पक्ष में मोड़ सकते थे। ऐसे में भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप धारण कर उनसे उनका सिर मांग लिया। जिसके बाद बर्बरीक ने अपना सिर दान कर दिया। इसके बाद भगवान कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में लोग तुम्हें श्याम के नाम से जानेंगे।

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