रणथंभौर के बाहरी क्षेत्र यानी जीन सिक्स टू टेन में गुरुवार से एक बार फिर पर्यटकों के लिए सफारी शुरू की जाएगी. इस संबंध में वन विभाग की ओर से आदेश जारी कर दिये गये हैं. वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सुबह की पाली में छह बजे से साढ़े नौ बजे तक और शाम की पाली में साढ़े तीन बजे से सात बजे तक पर्यटकों को पार्क भ्रमण पर भेजा जायेगा.
गौरतलब है कि बरसात के मौम में रणथंभौर के मुख्य जोन यानी एक से पांच तक 30 सितंबर तक पर्यटन बंद रहता है, लेकिन भारी बारिश के कारण वन विभाग ने बाहरी जोन में भी सफारी पर रोक लगा दी थी. वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस बरसात के मौसम में अब तक वन विभाग द्वारा रणथंभौर के बाहरी जोन में दो बार सफारी पर रोक लगाई जा चुकी है.
रणथंभौर नेशनल पार्क में कुल 10 सफारी ज़ोन हैं, जिसमें से हर ज़ोन की अलग सुन्दरता और खासियत है। हर ज़ोन में अलग तरह के वन्य जीव या पक्षी दिख सकते हैं। लेकिन बात जब बाघों की आती है, तो कुछ खास ज़ोन ही हैं, जहां इन बाघों के नज़र आने की संभावनाएं बढ़ जाती है। रणथंभौर नेशनल पार्क के कोर एरिया में 5 जोन मौजूद है। माना जाता है कि बाघों के दिखने की सबसे अधिक संभावना इन 5 जोन क्षेत्रों में ही होती है। जंगल के जोन नंबर 1 से 3 के बीच सबसे अधिक घने जंगल, पानी के तालाब और पथरिले क्षेत्र हैं, जो इन्हें बाघों के रहने और छिपने के लिए आदर्श जगह बनाते हैं। पर्यटकों और जंगल सफारी के गाईड का मानना है कि गेट नंबर 3 जिसे सुल्तानपुर गेट भी कहा जाता है, में बाघ सबसे अधिक नजर आते हैं। रणथंभौर नेशनल पार्क के बफर क्षेत्र में जोन 6 से 10 मौजूद है।
रणथंबोर नेशनल पार्क के 17 सौ वर्ग किलोमीटर में आज करीब 84 बाघ-बाघिन हैं, इसमे 25 बाघ, 25 बाघिन और 34 शावक हैं। रणथंभौर कई मशहूर टाइगर्स का घर रहा है, इनमे दुनिया की सबसे प्रसिद्ध बाघिन मछली, रणथंभौर का राजा सलमान, मातृत्व भावना और शिकार कौशल के लिए जानी जाने वाली नोरा, विशाल आकार और शक्तिशाली दहाड़ के लिए जाना जाने वाला टाइगर टी 73, रोमियो, लैला, डॉलर, उस्ताद, माला, जंगली, बीना वन, बीना टू और सितारा शामिल है।
अगर आप रणथंभौर सेंचुरी की सैर करने आये हैं तो इस पार्क के अंदर स्थित रणथंभौर के किले की सैर भी कर सकते हैं। यह किला जयपुर के महाराजाओं का पूर्व शिकारगाह रहा है। इसके अलावा आप इस पार्क के पास स्थित भगवान गणेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक, गणेश त्रिनेत्र मंदिर के दर्शन करने के लिए भी जा सकते हैं। इसके साथ ही यहां जो लोग दर्शन करने के लिए आते हैं वो मंदिर के पास पत्थर के छोटे घर बनाते हैं, जिससे उनकी असली घर बनाने की मनोकामना पूरी हो सके।
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