इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित स्वतंत्रता दिवस का जिला स्तरीय कार्यक्रम उस समय चर्चा का विषय बन गया, जब एक वीरांगना ने सम्मान ग्रहण करते वक्त ही अपनी पीड़ा जाहिर कर दी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे वन राज्य मंत्री संजय शर्मा जैसे ही उन्हें सम्मानित करने आगे बढ़े, वीरांगना ने हाथ जोड़ते हुए कहा – “मंत्री जी, पहले हमारी समस्या का समाधान कीजिए।”
वीरांगना ने बताया कि उनके पति को शहीद हुए पूरे 10 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज तक उनके गांव में शहीद की स्मृति में मूर्ति स्थापित नहीं हो सकी। इतना ही नहीं, परिवार को आश्वासन दिए जाने के बावजूद उनके बेटे को अनुकंपा नियुक्ति भी नहीं मिली। उन्होंने कहा कि शहीद परिवारों की समस्याओं को सुनना और उनका समाधान करना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन वर्षों से उन्हें केवल आश्वासन ही मिल रहे हैं।
मंच पर वीरांगना की यह बात सुनते ही पूरे समारोह में कुछ पल के लिए सन्नाटा पसर गया। दर्शक दीर्घा में बैठे लोग भी इस भावुक क्षण के गवाह बने। इसके बाद मंत्री संजय शर्मा ने वीरांगना को ढांढस बंधाया और आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं का समाधान जल्द किया जाएगा।
इस घटना ने एक बार फिर शहीद परिवारों की अनदेखी के मुद्दे को उजागर कर दिया है। कार्यक्रम के बाद मौजूद लोगों ने भी इस बात पर सहमति जताई कि वीरांगना ने जो दर्द मंच से व्यक्त किया, वह सिर्फ उनकी नहीं बल्कि उन सभी परिवारों की आवाज है, जो देश के लिए बलिदान देने वाले जवानों की याद और उनके हक के लिए सालों से संघर्ष कर रहे हैं।
समारोह में हुए इस वाकये ने जहां स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम को भावुक बना दिया, वहीं अधिकारियों और नेताओं को भी यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि शहीद परिवारों के मुद्दों का समय रहते समाधान क्यों नहीं हो पा रहा है।
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