रामगढ़, 19 अप्रैल . झारखंड पुलिस अब आर्मी के जवानों की तरह ट्रेंड होगी. सेना के जवान झारखंड पुलिस बल को ऑपरेशनल सहयोग देंगे, साथ ही जॉइंट ट्रेनिंग में भी शामिल होंगे. इन मुद्दों को लेकर शनिवार को रामगढ़ के पंजाब रेजिमेंटल सेंटर में एक सिनर्जी कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया. मुख्यालय झारखंड और बिहार सब एरिया के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में इंटर एजेंसी सहयोग को गहरा करने के उद्देश्य से ऐतिहासिक पहल की गई. इस कार्यक्रम में दोनों बालों के बीच आपसी सूझबूझ, संयुक्त प्रशिक्षण पहलुओं और मधुर संबंध स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया गया. इस सम्मेलन में सेना और झारखंड पुलिस के प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया, जिसमें दोनों बालों के वरीय अधिकारी शामिल हुए. सेना का प्रतिनिधित्व मेजर जनरल विकास भारद्वाज, वीएसएम जनरल आफिसर कमांडिंग झारखंड और बिहार सब एरिया और पुलिस का प्रतिनिधित्व झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने किया.
झारखंड और बिहार सब एरिया के वीएसएम जनरल आफिसर कमांडिंग मेजर जनरल विकास भारद्वाज ने चर्चा के दौरान दोनों बालों के बीच ऑपरेशनल सहयोग और संयुक्त प्रशिक्षण पहलुओं पर विशेष जोर दिया. उन्होंने इस तथ्य पर जोर दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा की उभरती प्रकृति के लिए एक सहयोगी और अनुकूल दृष्टिकोण की आवश्यकता है. नियमित बातचीत, संयुक्त प्रशिक्षण मॉड्यूल और नॉलेज शेयर करने से तालमेल बेहद मजबूत बनेगा तथा दोनों संगठनों को राष्ट्र की अधिक प्रभावी ढंग से सेवा करने में मदद मिलेगी.
कार्यक्रम के दौरान झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा कि वह भारतीय सेना की पहल की सराहना करते हैं. उन्होंने इस बात पर भी जोड़ दिया कि झारखंड पुलिस सैनिकों द्वारा राष्ट्र के प्रति की गई निःस्वार्थ सेवा का सर्वोच्च सम्मान करती है. उन्होंने संयुक्त प्रशिक्षण, संस्थानों के महत्व और पुलिसकर्मियों के लिए सेना संस्थानों के साथ आवश्यक अल्पकाल कार्यों की संभावना को रेखांकित किया, ताकि बेहद बेहतर अनुभव प्रदान किया जा सके.
डीजीपी अनुराग गुप्ता ने उस घटना का भी जिक्र किया जिसमें राज्य पुलिस अधिकारी की ओर से सैनिकों के साथ मारपीट की गई थी. इस घटना पर उन्होंने गहरा अफसोस प्रकट किया और कहा कि राज्य पुलिस ऐसे गलत काम करने वाले अधिकारियों से तुरंत और उचित तरीके से निपटेगी. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिए उन्होंने जॉइंट ट्रेनिंग कैप्सूल के महत्व को बताया. उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों के लिए सेना प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों के साथ काम समय के लिए संलग्न होने की संभावना को उजागर किया, ताकि बेहतर अनुभव और समझ मिल सके. छावनी और सैन्य स्टेशन में कानून व्यवस्था, यातायात प्रबंधन से संबंधित पहलुओं पर उन्होंने सेना और राज्य पुलिस के बीच सर्वोत्तम कार्यों का पता लगाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो अंततः एक अधिक सामंजस्य पूर्ण और प्रभावी सुरक्षा तंत्र में योगदान देगा.
सेना और झारखंड पुलिस के प्रतिनिधियों ने बताया कि इस सम्मेलन से सरकार के दो सबसे महत्वपूर्ण अंगों के बीच तालमेल बेहतर होगा. आपसी विश्वास और सम्मान बेहतर होंगे और दोनों संगठन आपस में विचारों का आदान-प्रदान करेंगे.
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/ अमितेश प्रकाश
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