नई दिल्ली, 10 अगस्त (Udaipur Kiran) । दिल्ली के होलंबी कलां ई-वेस्ट प्लांट की क्षमता को दोगुना किया जाएगा। दिल्ली के पर्यावरण और उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के नॉर्वे के रेवैक ई-वेस्ट प्रोसेसिंग फैसिलिटी (हाउकेविएन 11, 3174 रेवेटाल) का दौरा और अध्ययन करने के बाद प्लांट की क्षमता दोगुनी करने पर विचार किया जा रहा है। यह जानकारी रविवार को विज्ञप्ति जारी कर दी।
पहले होलंबी कलां ई-वेस्ट प्लांट को 150 करोड़ रुपये की लागत से 51,000 मीट्रिक टन सालाना क्षमता के साथ बनाना तय था, लेकिन मंत्री के नॉर्वे दौरे के दौरान रेवैक प्लांट के अध्ययन के बाद क्षमता दोगुनी (लगभग 1,10,000 मीट्रिक टन) करने पर विचार किया जा रहा है।
मंत्री सिरसा ने 4 से 5 अगस्त दौरे के दौरान ने सुरक्षित डिस्मेंटलिंग, सेग्रिगेशन, मटेरियल एक्सट्रैक्शन और इको फ्रेंडली ट्रीटमेंट सिस्टम का बारीकी से निरीक्षण किया और टेक्नोलॉजी एडेप्टेशन, कंप्लायंस और सामुदायिक भागीदारी पर रेवैक के वरिष्ठ इंजीनियरों और ऑपरेशनल हेड्स से चर्चा की। यहां एक और अहम सीख यह मिली कि ई-वेस्ट प्रोसेसिंग के दौरान एक मजबूत निरीक्षण व्यवस्था जरूरी है। नॉर्वे में यह काम नॉन-प्रॉफ़िट संगठनों द्वारा किया जाता है, जबकि दिल्ली सरकार अब भारत में एक विशेषज्ञ एजेंसी से थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग करवाने की योजना बना रही है।
दौरे से यह भी साफ हुआ कि ई-वेस्ट प्लांट से प्रदूषण या रेडिएशन जैसी चिंताएं गलतफहमी हैं। नॉर्वे प्लांट में पूरे फर्श को कंक्रीट किया गया है, पानी को उसी टैंक में शुद्ध कर दोबारा इस्तेमाल किया जाता है और अत्याधुनिक स्क्रबर लगाए गए हैं। यहां कचरा जलाया नहीं जाता, बल्कि मशीनों से कीमती मटेरियल जैसे एल्युमिनियम, लोहा और आरडीएफ अलग किया जाता है। यही मॉडल अब होलंबी कलां प्लांट में भी अपनाया जाएगा।
मंत्री सिरसा ने कहा कि सरकार का पर्यावरण और उद्योग दोनों में से किसी को भी नुकसान नहीं होने देने का लक्ष्य है।
उन्होंने बताया कि होलंबी कलां का ई-वेस्ट इको पार्क पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर बनाया जाएगा और दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन इसे संचालित करेगा। यह ई-वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2022 के तहत कई श्रेणियों के ई-वेस्ट को प्रोसेस करेगा, जिससे 500 करोड़ से अधिक का राजस्व, हजारों ग्रीन नौकरियां और असंगठित व खतरनाक ई-वेस्ट सेक्टर का औपचारिककरण होगा।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट जनरेटर है और दिल्ली इसमें लगभग 9.5 फीसद का योगदान देती है। इस चुनौती को देखते हुए दिल्ली सरकार ‘विकसित भारत@2047’ मिशन के तहत ऐसे टिकाऊ शहरी ढांचे में निवेश कर रही है जो आर्थिक अवसरों को पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ जोड़ता है।
—————
(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव
You may also like
WI vs PAK: Jayden Seales ने तोड़ा डेल स्टेन का महारिकॉर्ड, ऐसा करने वाले वेस्टइंडीज के पहले गेंदबाज बने
राजा बोला 'सभी बुजुर्गों को राज्य से निकालˈ दो युवक ने पिता को तहखाने में छिपा लिया फिर..
बीजेपी बनाम बीजेपी: राजीव प्रताप रूडी को नहीं हरा पाए संजीव बालियान, देखें कांस्टीट्यूशन क्लब चुनाव का फाइनल रिजल्ट
Rajasthan: दौसा में हुआ दर्दनाक सड़क हादसा, 10 लोगों की मौत, 15 घायल
हिमाचल प्रदेश पर कहर: भूस्खलन से 398 सड़कें बंद, भारी बारिश का 'ऑरेंज अलर्ट'