जयपुर, 8 अप्रैल . भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्ञानदेव आहूजा की ओर से नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद पार्टी ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है. साथ ही, कारण बताओ नोटिस जारी किया है. तीन दिन में आहूजा से जवाब मांगा गया है.
रामगढ़ (अलवर) के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा को भाजपा के प्रदेश महामंत्री एवं सांसद दामोदर अग्रवाल ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
कई सामाजिक संगठन आहूजा का विरोध कर रहे हैं. सोमवार देर रात जयपुर में मानसरोवर स्थित आहूजा के आवास के बाहर लगे नेम प्लेट पर कालिख पोत दी गई.
उल्लेखनीय है कि नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली छह अप्रैल को अलवर स्थित अपना घर शालीमार सोसाइटी में रामलला मंदिर गए थे. अगले दिन सात अप्रैल को रामगढ़ (अलवर) के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा रामलला मंदिर पहुंचे और गंगाजल का छिड़काव किया. उन्होंने कहा था कि रामनवमी के दिन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली समेत कांग्रेसियों को भी बुलाया गया. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली हिंदू और सनातन धर्म विरोधी हैं. उनके आने से मंदिर अपवित्र हो गया. मैंने गंगाजल छिड़ककर पवित्र किया है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी आहूजा के बयान को लेकर काफी नाराजगी है. भाजपा ने आहूजा को लेकर किनारा कर लिया है. जयपुर में सोमवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा था कि हमारी इस बयान में कोई सहमति नहीं है. उन्होंने किस प्रसंग में क्यों यह बयान दे दिया, समझ में नहीं आया.भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि पार्टी उनके बयान का किसी भी तरह से समर्थन नहीं करती है. राठौड़ ने कहा कि ज्ञान देव आहूजा के बयान पर हमारी किसी भी तरह की कोई सहमति नहीं है. उनसे फोन करके पूछा, उन्होंने सफाई दी और कहा कि उनके बयान का मतलब कांग्रेस से था, टीकाराम जूली को लेकर नहीं था. टीकाराम जूली नेता हैं और नेता की कोई जाति नहीं होती. उन्होंने राम सेतु का विरोध किया था, इसलिए ऐसा बयान दिया. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राठौड़ ने कहा कि यह गलत बयान है, इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए. पार्टी इस तरह के बयान का समर्थन नहीं करती है. हम इस तरह की चीजों को नहीं मानते हैं.पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आहूजा के इस बयान को दलितों के प्रति भाजपा की दुर्भावना का नमूना बताया. उन्होंने एक्स पर लिखा कि भाजपा नेता ज्ञानदेव आहूजा ने नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के मंदिर जाने के बाद गंगाजल छिड़का. यह घटना दलितों के प्रति भाजपा की दुर्भावना को दर्शाती है. 21वीं सदी में ऐसी संकीर्ण मानसिकता एक सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है. इसकी जितने कड़े शब्दों में निंदा की जाए वह कम है. क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री एवं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अपने वरिष्ठ नेता के इस व्यवहार से सहमत हैं? क्या इस घृणित कृत्य के लिए भाजपा अपने नेता पर कार्रवाई करेगी?भाजपा नेता ज्ञानदेव आहूजा ने विवाद के बाद यूटर्न ले लिया है. उन्होंने वीडियो जारी करते हुए कहा है कि मैंने किसी भी दलित का अपमान नहीं किया. मैं तो दलितों का पक्का समर्थक हूं. मैंने जितना दलितों का सहयोग किया है, शायद ही किसी और नेता ने इतना किया होगा. मेरा बयान सिर्फ कांग्रेस की मानसिकता को लेकर था. टीकाराम जूली प्रतिपक्ष के नेता हैं, लेकिन वह अपने आप को दलित नेता के रूप तक ही सीमित रखना चाहते हैं, जबकि मेरा यहां किसी भी दलित को लेकर कोई बयान नहीं था.
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/ रोहित
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