लखनऊ, 08 अगस्त (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मातहतों के पेंच कसे हैं। उन्होंने कहा है कि थानों की कार्यप्रणाली इस प्रकार विकसित की जाए कि जनता का कोई भी व्यक्ति बिना किसी हिचकिचाहट के थाने आकर अपनी शिकायत दर्ज करा सके। थानों में अवांछनीय तत्वों का प्रवेश पूरी तरह रोका जाए।
इस दौरान डीजीपी ने अपनी 10 प्राथमिकताओं को दोहराते हुए सभी प्राथमिकताओं की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि 10 प्राथमिकताओं के लक्ष्य को तीन आधार स्तंभों, एक तकनीक, प्रशिक्षण और तीसरा, प्रतिभा विषेषज्ञता के माध्यम से प्रभावी रूप से प्राप्त किया जा सकता है। जन शिकायतों के निस्तारण पर चर्चा के दौरान डीजीपी ने कहा कि जन शिकायतों के निस्तारण का मूल्यांकन सूचनाओं और आंकड़ों के आधार पर करना होगा। आईजीआरएस शिकायतों के निस्तारण के तुलनात्मक आंकड़ों पर उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे स्वयं आईजीआरएस मामलों की नियमित समीक्षा करें। साथ ही साथ वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यों का भी मूल्यांकन जनशिकायतों के समयबद्ध एवं गुणवत्ता पूर्ण निस्तारण के आधार पर होगा। इसी प्रकार, जिला प्रभारी भी अपने-अपने जिलों के थाना प्रभारियों के कार्यों का मूल्यांकन जन शिकायतों के निस्तारण के आधार पर करना सुनिश्चित करें।
डीजीपी ने कहा कि कोविड के बाद से साइबर अपराधों के मामलों में वृद्धि हुई है। ऐसे में पुलिस को भी अपनी क्षमता को उसी प्रकार उन्नत करने की आवश्यकता है। थानों में गठित साइबर सेल और उनके कार्यों को सुदृढ़ बनाने के संबंध में पहले ही निर्देश जारी किए जा चुके हैं। इन्हें पूरा करते हुए, वरिष्ठ अधिकारी अगले 15 दिनों के भीतर सभी थानों में साइबर सेल को सुदृढ़ करें और यह सुनिश्चित करें कि साइबर सेल में केवल कुशल एवं जानकार कार्मिक ही नियुक्त हों।
डीजीपी ने कहा कि ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आईफोरसी) गृह मंत्रालय के साइबर प्रशिक्षण पोर्टल ‘साइट्रेन’ पर अधिक से अधिक पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों का नामांकन कराकर प्रशिक्षण प्रारंभ किया जाए। इस दिशा में भी अगले 15 दिनों के भीतर परिणाम दिखने चाहिए। थाना स्तर एवं जिला स्तर के साइबर सेल को सुदृढ़ किया जाए तथा पीड़ितों की शिकायतों से संबंधित पोर्टल राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) का तत्परतापूर्वक अधिकतम उपयोग किया जाए। इस पोर्टल के माध्यम से जो निर्धारित कार्यवाही की जानी है, उसको अतिशीघ्र सुनिश्चित करें। आगामी दिनों में मुख्यालय से इस पोर्टल की कार्यवाही से संबंधित एसओपी भी जारी की जाएगी, जिससे जिलों एवं कमिश्नरेट के साइबर सेल तथा सभी थानों के साइबर सेल इस पोर्टल पर सुचारू रूप से कार्य कर सकेंगे।
प्रशिक्षण पर चर्चा के दौरान पुलिस महानिदेशक ने कहा प्रशिक्षण प्रतिदिन की प्राथमिकता है, यह एक नजरिया है। वरिष्ठ अधिकारी जिलों व पीएसी इकाइयों में भ्रमण के दौरान वहां दिये जा रहे प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित करें। फील्ड व पीएसी इकाइयों में नियुक्त कर्मियों को भी आपरेशनल एवं सिचुएशनल प्रशिक्षण प्रदान किया जाये। प्रशिक्षण एक कमॉण्ड जॉब है, जिसे वरिष्ठ अधिकारियों को ही अपने निकट पर्यवेक्षण एवं निर्देशन में कराना होगा।
डीजीपी ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों से अपेक्षा की है कि वह स्वयं भी कानून, फारेंसिक एवं तकनीकी ज्ञान की समुचित जानकारी रखें। उन्होंने बताया कि मुख्यालय स्तर पर उत्तर प्रदेश पुलिस के सभी कार्मिकों को उनकी प्रतिभा, योग्यता एवं विशेषज्ञता के आधार पर वर्गीकृत किया जा रहा है। निकट भविष्य में उनकी कौशल क्षमता के आधार पर उनका उपयोग किया जाएगा। अंत में, डीजीपी ने कहा कि पुलिस से अपेक्षा है कि वे अपनी कार्य संस्कृति में सुधार एवं परिवर्तन लाएँ तथा मुख्यालय से जारी निर्देशों का पालन करते हुए उनका अनुपालन सुनिश्चित करें।—————-
(Udaipur Kiran) / दीपक
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