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जाति जनगणना का निर्णय हाशिए पर खड़े लोगों को करेगा सशक्त : डॉ. के लक्ष्मण

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नई दिल्ली, 1 मई . भारतीय जनता पार्टी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद डॉ के. लक्ष्मण ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा आगामी राष्ट्रीय जनगणना में जातिवार गणना को शामिल करने के ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह एक साहसिक और पारदर्शी कदम सामाजिक न्याय, सूचित नीति निर्माण तथा भारत के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. जाति जनगणना का निर्णय हाशिए पर खड़े लोगों के लिए वरदान साबित होगा.

डॉ. लक्ष्मण ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि भारत में अंतिम व्यापक जाति जनगणना 1931 में ब्रिटिश सरकार ने आयोजित की थी. तब से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के आंकड़ों को छोड़कर, राष्ट्रीय स्तर पर कोई आधिकारिक जाति गणना नहीं हुई है. दशकों से सटीक आंकड़ों की अनुपस्थिति ने अन्य पिछड़ा वर्ग और अन्य हाशिए के समुदायों के लिए कल्याणकारी नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न की है. 94 वर्षों के बाद इस प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने का मोदी सरकार का निर्णय साक्ष्य-आधारित शासन और पारदर्शिता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

उन्होंने कहा कि जाति जनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस और उसके सहयोगियों के दोहरेपन को उजागर करना महत्वपूर्ण है. विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने बार-बार जाति जनगणना की मांग को एक राजनीतिक नारे के रूप में इस्तेमाल किया है, घोषणापत्रों और सार्वजनिक रैलियों में इसका वादा किया है. हालांकि, सत्ता में आने पर कांग्रेस सरकारें लगातार इसे पूरा करने में विफल रही हैं. वर्ष 2010 में कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार ने जाति जनगणना पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया था, लेकिन सरकार ने केवल एक सर्वेक्षण आयोजित करने का विकल्प चुना, न कि पूर्ण, पारदर्शी गणना सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना के डेटा को कभी भी पूरी तरह से जारी नहीं किया गया था और यह अभ्यास स्पष्टता और पारदर्शिता की कमी से प्रभावित था.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगियों ने जाति जनगणना को केवल एक राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया है, कभी भी हाशिए पर पड़े लोगों के कल्याण के लिए वास्तविक इरादे से नहीं. इसके विपरीत मोदी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि जाति गणना आधिकारिक जनगणना के हिस्से के रूप में एक संरचित, पारदर्शी और कानूनी रूप से सही तरीके से की जाए, न कि खंडित और संदिग्ध राज्य-स्तरीय सर्वेक्षणों के माध्यम से. डॉ. लक्ष्मण ने कहा कि भाजपा का दृष्टिकोण: एकता, कल्याण और सामाजिक सद्भाव का है. हमारा मानना है कि लक्षित कल्याणकारी योजनाओं, सामाजिक न्याय और समाज के सभी वर्गों के उत्थान के लिए सटीक डेटा आवश्यक है.

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/ विजयालक्ष्मी

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