अलवर, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । खैरथल-तिजारा जिले के किशनगढ़बास की आदर्श कॉलोनी में सामने आए नीला ड्रम हत्याकांड की गुत्थी पुलिस ने 24 घंटे में सुलझा दी। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि मृतक हंसराज की पत्नी सुनीता ने अपने प्रेमी जितेंद्र शर्मा के साथ मिलकर यह साजिश रची थी। हंसराज की शादी को पंद्रह साल हो चुके थे, लेकिन पत्नी ने महज चार महीने के प्रेम संबंध के लिए परिवार और बच्चों का भविष्य दांव पर लगा दिया।
एसपी मनीष कुमार के अनुसार, जितेंद्र ईंट-भट्टे पर काम करता था। वहीं उसकी मुलाकात हंसराज और उसकी पत्नी सुनीता से हुई। दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं क्योंकि हंसराज आए दिन पत्नी को मारता-पीटता था। जितेंद्र और हंसराज अक्सर साथ बैठकर शराब पीते थे और इसी दौरान सुनीता का जितेंद्र से प्रेम संबंध बन गया। करीब डेढ़ महीने पहले जितेंद्र ने महिला और उसके पति को अपने घर किराये पर कमरा दिलाया ताकि उसका आना-जाना सुगम बना रहे।
घटना 15 अगस्त की रात की है। हंसराज को पहले शराब पिलाई गई और जब वह नशे में धुत्त हो गया तो जितेंद्र उसकी छाती पर बैठ गया और तकिये से उसका मुंह दबा दिया। पत्नी ने पति के पैर कसकर पकड़ रखे थे। कुछ ही देर में हंसराज की सांसें थम गईं। हत्या के बाद शव को प्लास्टिक के नीले ड्रम में ठूंस दिया गया। ऊपर से नमक डाला और चादर से ढक दिया। इसके बाद सुनीता बच्चों को लेकर फरार हो गई। 17 अगस्त को ड्रम से बदबू आने पर मामला सामने आया। तकनीकी निगरानी और एफएसएल जांच के आधार पर पुलिस ने 18 अगस्त को सुनीता और जितेंद्र को अलावड़ा के पास ईंट-भट्टे से गिरफ्तार कर लिया। आज दोनों को घटनास्थल पर ले जाकर सीन रीक्रिएशन कराया गया और कोर्ट में रिमांड पर पेश किया गया। पुलिस टीम में एडिशनल एसपी रतनलाल भार्गव, सीओ राजेंद्र सिंह, थानाधिकारी जितेंद्र सिंह समेत साइबर सेल और अन्य पुलिसकर्मी शामिल थे। पुलिस का मानना है कि सुनीता अपराध आधारित टीवी शो और सोशल मीडिया से प्रभावित थी।
मंगलवार को पोस्टमार्टम के दौरान मृतक हंसराज के परिजन उत्तरप्रदेश से किशनगढ़बास पहुंचे। पिता खेमकरण ने कहा कि बेटे की शादी को पंद्रह साल हो चुके थे और वह करीब एक साल पहले ही कामकाज के सिलसिले में यहां आया था। उन्होंने बताया कि पंद्रह दिन पहले ही आखिरी बार बेटे से बात हुई थी। बेटे की हत्या से पूरा परिवार टूट गया है और दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।
परिजन शव को यहीं दाह संस्कार करने के लिए तैयार नहीं हुए। पिता खेमकरण का कहना था कि बेटे की मां ने उसे आखिरी बार नहीं देखा है, इसलिए शव गांव ही ले जाया जाएगा। आर्थिक स्थिति को देखते हुए पुलिस और स्थानीय लोगाें ने खेमकरण की मदद की।
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(Udaipur Kiran) / मनीष कुमार
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