– तीन मिसाइलों से लैस राफेल फाइटर जेट ने पाकिस्तान की नींद उड़ाई
नई दिल्ली, 07 मई . भारत ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह करके पहलगाम आतंकी हमले का बदला ले लिया.इस जवाबी कार्रवाई में फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल से दागी गई स्कैल्प और हैमर मिसाइल भी फ्रांस में ही बनी हैं. राफेल में तीन तरह की मिसाइलें लगाई जा सकती हैं, जिसमें मीटियोर, स्कैल्प और हैमर मिसाइल हैं. इन तीनों मिसाइलों के साथ लैस होने की वजह से ही राफेल ने चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ा रखी है.
हाइली एजाइल एंड मैनोवरेबल म्यूनिशन एक्टेंडेड रेंज (हैमर) हवा से जमीन पर मार करने वाले रॉकेट के जरिए चलने वाली मिसाइल किट है. हैमर मिसाइल हवा से जमीन पर 60 से 70 किलोमीटर तक दुश्मन को निशाना बना सकती है. राफेल में लगने वाली हैमर मिसाइल काफी खतरनाक है, जिसे जीपीएस के बिना भी 70 किलोमीटर की रेंज से लॉन्च किया जा सकता है. फ्रांस से 36 राफेल विमानों का सौदा होते समय भारत ने बजट के अभाव में फ्रांस से महंगे हैमर सिस्टम्स लेने के बजाय इजराइली स्पाइस-2000 बम से ही काम चलाने का निर्णय लिया था, लेकिन पहली खेप में पांच राफेल की आपूर्ति के बाद हैमर सिस्टम्स लेने के लिए फ्रांस को ऑर्डर किया गया था.
सितम्बर, 2020 में भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच हैमर कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए गए थे. इसकी आपूर्ति आमतौर पर एक साल में होनी थी, लेकिन फ्रांस ने भारत की जरूरत को तत्काल पूरा करने के लिए भारतीय राफेल को ऑल वेदर मिसाइल हैमर से लैस करने पर सहमति व्यक्त की. दूसरी खेप में तीन और राफेल विमानों की आपूर्ति होने के बाद बड़ी संख्या में हैमर सिस्टम्स भारतीय वायुसेना को मिल गई थीं. राफेल में लगने वाली हैमर मिसाइल काफी खतरनाक है, जिसे जीपीएस के बिना भी 70 किलोमीटर की रेंज से लॉन्च किया जा सकता है. हैमर हवा से जमीन पर मार करने वाली तेज गति से उड़ने वाली मिसाइल है. इसका वजन 340 किलो होता है. यह 10.2 फीट लंबी होती है. इसके अगले हिस्से में नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम लगा होता है.
हैमर से पहले राफेल में लगी 300 किलोमीटर की रेंज वाली स्कैल्प मिसाइल इसे सबसे ज्यादा मारक बनाती है. राफेल को इस मिसाइल से 4,000 मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ी इलाकों में अटैक करने के लिहाज से अपग्रेड किया गया है. 300 किलोमीटर की रेंज तक हवा से सतह पर मार करने वाली गाइडेड मिसाइल स्कैल्प 450 किलोग्राम के वारहेड ले जा सकती है. इसका इस्तेमाल कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, एयर बेस, पोर्ट, पावर स्टेशन, गोला बारूद स्टोरेज डिपो, सरफेस शिप, सबमरीन और अन्य रणनीतिक हाई-वैल्यू टारगेट को टारगेट करने के लिए किया जाता है. इस मिसाइल की खासियत है कि एक बार फाइटर से लॉन्च करने के बाद दुश्मन के राडार और जैमिंग सिस्टम से बचने के लिए जमीन से 100 से 130 फीट के बीच में आ जाती है. इसके बाद लक्ष्य के करीब पहुंचने से पहले मिसाइल फिर से 6,000 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक जाती है और फिर सीधा लक्ष्य पर गिरती है.
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/ सुनीत निगम
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