वाराणसी, 21 अप्रैल . आराजी लाइन विकासखंड के शाहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में सोमवार को सब्जियों से जुड़े शोध कार्यों में निजी क्षेत्र की सहभागिता को लेकर महत्वपूर्ण बैठक की गई. यह पहल संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार के नेतृत्व में की गई. इस अवसर पर फाउंडेशन फॉर एडवांस्ड ट्रेनिंग इन प्लांट ब्रीडिंग की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अपर्णा तिवारी ने संस्थान के वैज्ञानिकों से मुलाकात की और संस्थान द्वारा विकसित की जा रही उन्नत किस्मों, हाइब्रिड बीजों और नवीन तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त की.
—पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर जोर
चर्चा के दौरान पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर खास तौर पर चर्चा हुई. इसके तहत संस्थान की उन्नत किस्मों व तकनीकों को निजी क्षेत्र की कंपनियों को लाइसेंस के माध्यम से किसानों तक पहुंचाने की प्रक्रिया साझा की गई. इसमें यह तय हुआ कि जो निजी कंपनियाँ शोध में वित्तीय सहयोग करेंगी, उन्हें तकनीक के लाइसेंस देने में प्राथमिकता दी जाएगी.
—भिंडी कॉन्सोर्शियम को मिलेगा विस्तार, अन्य फसलों पर भी जोर
संस्थान द्वारा पहले से चल रहे भिंडी कॉन्सोर्शियम शोध कार्यक्रम के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए इसे और अधिक प्रभावशाली बनाने पर सहमति बनी. साथ ही, इसी तर्ज पर टमाटर, बैगन और मिर्च की फसलों पर भी कॉन्सोर्शियम आधारित शोध कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया. भविष्य में इन कॉन्सोर्शियम शोध परियोजनाओं के लिए निजी क्षेत्र से वित्तीय पोषण प्राप्त करने पर भी विचार किया गया.
—सम्मेलन और सेमिनार की योजना
डॉ. अपर्णा तिवारी ने संस्थान के साथ मिलकर सब्जियों से जुड़े विभिन्न शोध विषयों पर सेमिनार और कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की इच्छा भी जताई. इस चर्चा में डॉ. सुदर्शन मौर्य, डॉ. शैलेश कुमार तिवारी और डॉ. प्रदीप कर्मकार जैसे वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने भी भाग लिया.
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/ श्रीधर त्रिपाठी
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