– चतुष्कोणीय मुकाबले में फंसे दिख रहे निर्वतमान विधायक पवन जायसवाल
पूर्वी चंपारण,31 अक्टूबर (Udaipur Kiran) .
जिले के ढाका विधानसभा क्षेत्र में इस बार उम्मीदवारों के बीच की लड़ाई दिलचस्प हो गई है. इस क्षेत्र के कुछ प्रबुद्ध एवं राजनीतिक समझ रखने वाले लोगों की मानें तो यहां भाजपा के पवन जायसवाल इस बार चतुष्कोणीय लड़ाई में फंसे दिख रहे है.
भाजपा के पवन जायसवाल, राजद के फैसल रहमान, जनसुराज के डाॅ. एलबी प्रसाद सहित एआईएमआईएम के प्रत्याशी राणा रंजीत सिंह के बीच टक्कर की संभावना है, ऐसे में कौन बाजी मारेग, कहना कठिन होगा.
अलबत्ता दोनो गठबंधन के नेता अपने आप को आमने-सामने की लड़ाई लाने के लिए हर संभव प्रयास में जुटे है. पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार पवन जायसवाल को लगभग एक लाख मत मिले थे, जबकि इनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद के फैसल रहमान को करीब नब्बे हजार मत मिले थे. ऐसे में इस बार मतो का जिस तरह से बिखराव देखने को मिला रहा है, जाहिर है कि दोनो गठबंधन उम्मीदवारो को उतना मत शायद नहीं मिल पाये.
इधर जनसुराज के उम्मीदवार डॉ, एलबी प्रसाद लड़ाई को दिलचस्प एवं त्रिकोणीय बनाने में रात-दिन पसीना बहा रहे हैं. वहीं राणा रंजीत सिंह भी इस लड़ाई को चतुष्कोणीय बनाने से पीछे नहीं है. सभी को जनता के बीच रिस्पांस भी मिल रहा है. अलबत्ता अंतिम क्षण में किसको कितना वोट में मिलेगा, इस पर अभी बादल छाएं हुए है.
डाक्टर एलबी प्रसाद अपने स्वजातीय मतों में मजबूत सेंधमारी करने की कोशिश में लगे हैं. वे हाल ही में जनसुराज के प्रणेता प्रशांत किशोर भी ढाका में रोड शो कर युवाओं में उत्साह भर पाने में सफल साबित हुए है. जब गत दिनों ओबैसी की एक सभा हुई, जिसमें लोगों की तादात काफी थी, सभी के बीच जिस तरह से अपने आप को हिन्दुस्तानी बताते हुए ओबैसी ने दुसरे दलो पर प्रहार किया, उसका भी लोग आंकलन कर रहे हैं.
भाजपा उम्मीदवार पवन जायसवाल गांव गलियों में घूम घूम कर मतदाताओं के बीच अपनी उपलब्धियों को गिना रहे हैं. वे सरकार की उपलब्धियां भी बता रहे हैं. दूसरी तरफ राजद उम्मीदवार फैसल रहमान भी इस बार काफी सोंच समझ कर राजनीति करते दिख रहे है. वे मतदाताओं के बीच जाकर भाजपा सरकार की विफलताएं इस तरह से गिना रहे हैं कि लोग उनकी भी बातो को खूब सुन और समझ रहे है.
राजद प्रत्याशी रहमान निर्वतमान विधायक पर भेदभाव बरतने का आरोप लगा रहे है. उनका कहना है कि यहां स्थानीय स्तर पर भयंकर भ्रष्टाचार हुआ है. कमीशन खोरी और रिश्वतखोरी की चर्चा सभी लोग जान चुके है.
लिहाजा इस बार यहां के लोग उनसे त्राहिमाम है. Bihar में बदलाव जरूरी है. अगर बदलाव हुआ तो नया Bihar देखने लायक होगा. जबकि जनसुराज के एलबी प्रसाद का साफ कहना है कि अगर राज्य से पलायन रोककर रोजगार सृजित करना है,तो प्रशांत किशोर के विजन को आत्मसात कर वोटिंग करे. उनका कहना है कि शिक्षा एक बड़ा मुद्दा है.
सभी गरीब तबके के लोगों का अरमान है कि उनके बच्चे मांटेसरी स्कूल में पढ़े. इसके लिए प्रशांत किशोर ने लोगों को आश्वत कर दिए है. उम्मीद है कि लोग जात-पात, धर्म, मजहब से उपर उठकर इस बार जनसुराज को सरकार बनाने का अवसर देने के लिए उन्हे मौका देंगे.
राणा रंजीत सिंह का कहना है कि हम धर्मनिपेक्षता पर भरोसा करने वाले नेता है. हमे हिन्दू-मुस्लिम सिख इसाई सभी से जुड़ाव है. हम अगर यहां जीतेगे तो यहां जात-पात उंच, नीच की खाई को खत्म कर देंगे. वहीं विकास के मामले में ढाका Bihar में अलग पहचान स्थापित करेगा.
दीगर है कि इन सबके अतिरिक्त यहां वोटों का एक अलग गणित है. यहां भी वोटों का ध्रुवीकरण होता रहा है. भाजपा के भाजपा के समर्थन में यहां हिन्दूओं का परंपरागत मत मिलता रहा है तो राजद के पक्ष में मुस्लिम और यादव मतों की गोलबंदी होती रही है. हालाकि मतों में बिखराव भी होते रहे हैं भले ही उनका प्रतिशत कम रहा हो. लेकिन यह बिखराव जीत, हार को प्रभावित करता रहा है.
ढाका में महरूम मोतिउर्रहमान दस वर्षों तक विधायक रहे. उनके साथ अल्पसंख्यक मतदाताओं के अतिरिक्त हिन्दू मतदाताओं खासकर अगड़ी जातियों का मत उन्हें मिलता रहा. जिससे वे विधायक बनते रहे. अलबत्ता भाजपा के अवनीश कुमार सिंह के विधायक बनने के बाद मोतिउर्रहमान ढाका से चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन मुख्य प्रतिद्वंद्वी बने रहे. यहां के लोग कहते हैं कि भले ही मोतिउर्रहमान विधायक में चुनाव हारे, लेकिन ढाका का जन नेता जीवनपर्यंत बने रहेगे. बहरहाल, इस बार ढाका के चुनाव का परिदृश्य बदला हुआ है.
भाजपा विधायक मेहनती हैं. लेकिन बाकी भी कोई कम मेहनती नहीं है, ऐसे में उंट किस करवट लेगा, कहना जल्दीबाजी होगा. इस विधानसभा की रिपोर्ट फिर सुर्खियों में आयेगी, चूँकी राजनीति में हर घंटे तस्वीर बदलती है.
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(Udaipur Kiran) / आनंद कुमार
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