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Chhath Puja : छठी मईया को क्यों कहते हैं देवसेना, जानें नाम और महत्व के पीछे की असली कहानी

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Chhath Puja : भारत में कार्तिक माह आते ही वातावरण में भक्ति, पवित्रता और आस्था का अनोखा रंग घुलने लगता है। खासकर उत्तर भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी यूपी सहित देश-विदेश में रहने वाले भक्त अत्यंत श्रद्धा के साथ छठ महापर्व मनाते हैं।

यह पर्व केवल सूर्य उपासना का नहीं, बल्कि छठी मईया की कृपा प्राप्त करने का भी विशेष अवसर माना जाता है। हालाँकि अधिकतर लोग छठ पूजा करते हैं, लेकिन कई बार मन में यह सवाल उठता है — आखिर छठी मईया कौन हैं और उनकी पूजा क्यों की जाती है?

चलिए सरल भाषा में समझते हैं इस पावन पर्व से जुड़ी मान्यता और छठी मईया के दिव्य स्वरूप के बारे में।

छठ महापर्व कब और कैसे मनाया जाता है?

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। पंचमी को खरना, षष्ठी को सूर्य द्वार पर अर्घ्य और सप्तमी को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर पारण के साथ इसका समापन होता है चार दिनों तक चलने वाला यह व्रत पवित्रता, संयम और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक है।

छठी मईया कौन हैं? जानें उनका दिव्य स्वरूप

सूर्य देव की बहन

मान्यता है कि छठी मईया, सूर्य देव की बहन हैं। इसलिए छठ पर्व पर सूर्य देव और छठी मईया दोनों की संयुक्त रूप से पूजन-अर्चना की जाती है।

देवसेना के नाम से भी पूजित

भारत के कई क्षेत्रों में छठी मईया को देवसेना के रूप में भी स्मरण किया जाता है।

शिशु की रक्षक देवी

लोकमान्यता के अनुसार, जन्म के बाद छह दिनों तक छठी मईया नवजात शिशु की रक्षा करती हैं। वे बच्चे को स्वस्थ जीवन, दीर्घायु और सुरक्षा प्रदान करती हैं।

प्रकृति देवी का छठा स्वरूप

मार्कंडेय पुराण के अनुसार, देवी प्रकृति ने स्वयं को छह रूपों में विभाजित किया था। इनका छठा भाग मातृ-देवी के रूप में विख्यात हुआ और वही समय के साथ छठी मईया के नाम से पूजनीय बना। इन्हें ब्रह्मा जी की मानस पुत्री भी माना गया है।

मातृत्व, स्नेह और जीवनदायिनी शक्ति की प्रतीक

छठी मईया का संबंध षष्ठी तिथि से है, इसलिए इसी दिन इनकी विशेष पूजा का विधान है। वे संतान की रक्षा, उन्नति और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं।

छठी मईया की पूजा करने के फायदे

भक्तों का विश्वास है कि छठी मईया की सच्चे मन से आराधना करने पर —

संतान की रक्षा और उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है गर्भवती महिलाओं को शुभफल एवं संतति-सुख प्राप्त होता है

परिवार में खुशियाँ, शांति और समृद्धि बनी रहती है घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मकता बढ़ती है

मन में आत्मिक शांति और मानसिक शक्ति की प्राप्ति होती है

छठ पूजा को उपासना से अधिक तपस्या माना गया है, क्योंकि इसमें व्रती अत्यंत शुद्धता और नियमों का पालन करते हुए उपवास रखते हैं।

छठी मईया की पूजा में बोले जाने वाले मंत्र

“ॐ षष्ठ्यै नमः”

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

इन मंत्रों के जप से वातावरण में शुद्धता आती है और मन में भक्ति, शांति तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

छठी मईया का महापर्व केवल परंपरा नहीं, बल्कि मातृत्व, श्रद्धा, त्याग, पवित्रता और कृतज्ञता का उत्सव है। यह हमें प्रकृति, सूर्य, जल और परिवार के प्रति सम्मान व भावनात्मक जुड़ाव का संदेश देता है।

सच्चे मन से की गई पूजा, व्रत और अर्घ्य से छठी मईया प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाती हैं।

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